जुमे की नमाज के बाद लोगों ने किया हंगामा, दोपहर बाद खुला कपड़ा बाजार
आगरा। आगरा शहर की प्रमुख शाही जामा मस्जिद में आज सुबह जानवर का कटा हुआ सिर मिलने के बाद पैदा हुए तनाव के माहौल में जुमा की नमाज तो शांति से अदा हुई, लेकिन नमाज के बाद लोगों का गुस्सा नापाक हरकत को लेकर भड़क उठा। आक्रोशित लोग आरोपी को अपने हवाले करने की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। हंगामा होने पर बाहर मौजूद पुलिस को मस्जिद के अंदर जाकर हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद ही लोग शांत हुए।

शुक्रवार को हुई नापाक हरकत के बाद आगरा की शाही जामा मस्जिद पर जुमे की नमाज के बाद हंगामा करते मुस्लिम समाज के युवक। जुमे की नमाज से पहले ही आरोपी नजरुद्दीन उर्फ कलुआ के पकड़े जाने के बाद लोगों का गुस्सा ठंडा पड़ गया था। इस घटना को लेकर इतना डर का माहौल पैदा हो गया था कि जामा मस्जिद के आसपास के कपड़ा मार्केट जुमे की नमाज अदा होने के बाद ही खुले।
नजरुद्दीन के तनाव पैदा करने वाले कृत्य को लेकर हर कोई आशंकित हो उठा था कि कहीं शहर का अमन चैन खराब न हो जाए। सुबह जामा मस्जिद पर पहुंचे मुस्लिम समाज के लोग जिस तरह हंगामा करने लगे थे, उससे सभी के माथे पर चिंता की लकीरें थीं, लेकिन पुलिस ने जिस तत्परता से तीन घंटे के अंदर आरोपी की पहचान कर उसे पकड़ लिया, उससे मामला एकदम से ठंडा पड़ गया।
इस तनाव का असर जामा मस्जिद के आसपास के कपड़ा बाजार पर भी पड़ा। आम तौर पर 10 से 11 बजे के बीच खुल जाने वाली दुकानें आज दोपहर बाद तभी खुलीं जब जुमे की नमाज शांति के साथ अदा हो गई। शाही जामा मस्जिद ही नहीं, इसके आसपास की कई मस्जिदों में भी शांति से नमाज पढ़ी गई। इस दौरान एहतियात के लिहाज से भारी पुलिस बल की भी तैनाती रही।
भले ही आरोपी कल्लू पकड़ा जा चुका था लेकिन नमाज के लिए मस्जिद पहुंचे लोगों में इंतजामिया कमेटी को लेकर भी गुस्सा देखा गया। लोग नमाज के बाद नारेबाजी करते हुए मांग करने लगे कि पकड़े गये नजरुद्दीन को उनके हवाले किया जाए। उसे वे सजा देंगे। इस पर पुलिस को मस्जिद के अंदर जाकर लोगों को शांत करना पड़ा।
हिंदुस्तानी बिरादरी के चेयरमैन डॊ. शिराज कुरैशी ने एक बयान में कहा कि आज जामा मस्जिद के अहाते में जो नापाक हरकत की गई है, वो सिर्फ़ एक इमारत को नहीं, बल्कि पूरे शहर की तहज़ीब को चोट पहुंचाने की कोशिश है। ये एक सोची-समझी साज़िश है जिससे फसाद भड़काया जाए, मगर हम सबको होश से काम लेना है, जोश से नहीं।
उन्होंने कहा कि आगरा न सिर्फ़ मोहब्बत की निशानी ताजमहल का शहर है, बल्कि यह "सुलह-ए-कुल" की सरज़मीं है। यहां हर रोज़ दुनिया भर से लोग अमन, तहज़ीब और विरासत की तलाश में आते हैं। ऐसे शहर में इस तरह की हरकतें न सिर्फ़ शर्मनाक हैं, बल्कि मुल्क की बदनामी का सबब भी बनती हैं। आगरावासी अफवाहों से बचें और क़ानून का साथ दें। नफ़रत के एजेंट चाहे जितनी भी साज़िशें करें, हिंदुस्तान की अमनपसंद बिरादरी उन्हें नाकाम करेगी।