एनएससीएन-आईएम की केंद्र को युद्धविराम तोड़ने की चेतावनी
नई दिल्ली। नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-आईएम) ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर 2015 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर बातचीत में तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया गया, तो वे 27 साल पुराना युद्धविराम तोड़ देंगे। एनएससीएन-आईएम पूर्वोत्तर भारत में सबसे लंबे समय से चले आ रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए यह मांग कर रहा है। यह चेतावनी एनएससीएन-आईएम के महासचिव टी मुइवा ने दी है।
दिल्ली में सात और आठ अक्टूबर को हुई बातचीत के बाद मुइवा ने एक बयान जारी किया। बातचीत का मुख्य मुद्दा था कि नौ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का सरकार की ओर से कथित तौर पर उल्लंघन किया जाना। मुइवा ने कहा कि एक सम्मानजनक राजनीतिक समझौते पर पहुंचने के लिए हम भारत सरकार की ओर से तीन अगस्त 2015 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट किए थे। हालांकि, केंद्र ऐतिहासिक समझौते के कुछ प्रावधानों का सम्मान करने से इनकार कर रहा है। इस विश्वासघात के खिलाफ शांति प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। हम एग्रीमेंट की शर्तों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनाने से इनकार करते हैं। मुइवा ही 2016 में इसाक चिशी स्वू की मौत तक एनएससीएन-आईएम का नेतृत्व कर रहे थे।
मुइवा ने आगे कहा कि हम इस एग्रीमेंट में हुए विश्वासघात को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रस्ताव रखते हैं, लेकिन अगर भारत सरकार ने इस राजनीतिक पहल को अस्वीकार कर दिया, तो एनएससीएन-आईएम अनूठे इतिहास और उसके संप्रभु अस्तित्व की रक्षा के लिए भारत के खिलाफ फिर से सशस्त्र प्रतिरोध शुरू कर देगा। 1997 में शुरू हुआ यह संवाद एनएससीएन-आईएम की अलग झंडे और संविधान की मांग पर अटका हुआ है।