आरआईआरएस तकनीक से एसएन में शुरू हुए बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन
आगरा। एसएन मेडिकल कॉलेज में आज अत्याधुनिक व नवीनतम तकनीक रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी (आरआईआरएस) पर आधारित सजीव ऑपरेशन और हैंड्स-ऑन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की।
इस वर्कशॉप का आयोजन सर्जरी और यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रशांत लवानिया के नेतृत्व में किया गया। खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम के लिए बीएलके-मैक्स अस्पताल दिल्ली के प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट डॉ. यजवेंदर प्रताप सिंह राणा अतिथि संकाय सर्जन के रूप में उपस्थित रहे।
डॉ. प्रशांत लवानिया ने वर्कशॉप के दौरान कहा कि आरआईआरएस पत्थरों को बिना किसी चीरे और चीर-फाड़ के निकालने की सबसे उन्नत तकनीक है। इसमें लेजर का इस्तेमाल कर गुर्दे के अंदर मौजूद पत्थर को चूर्ण किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल दर्द रहित है, बल्कि मरीज बहुत कम समय में पूरी तरह ठीक हो जाता है। उन्होंने इस तकनीक को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि यह मरीजों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।
कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए कहा, आरआईआरएस जैसी उन्नत तकनीक अब एसएन मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है, जो पहले सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों और एम्स जैसे संस्थानों तक सीमित थी। इससे आगरा और आसपास के इलाकों के मरीजों को राहत मिलेगी और उन्हें इलाज के लिए दिल्ली या जयपुर जैसे बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
कार्यक्रम में चिकित्सा जगत के कई दिग्गज चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। सत्रों की अध्यक्षता करने वाले विशेषज्ञों में प्रोफेसर टीपी सिंह, डॉ. मधुसूदन अग्रवाल, डॉ अनुराग यादव , डॉ दिलीप मिश्रा , डॉ अविनाश सिंह ,डॉ. जूही सिंघल, डॉ. राजेश गुप्ता, डॉ. जेपीएस शाक्य, डॉ. अंकुश गुप्ता, डॉ. अनुभव गोयल, डॉ. प्रदीप देब, डॉ. करण आर. रावत, डॉ. विजय त्यागी और डॉ अंकुर अग्रवाल , डॉ. अभिषेक पाठक शामिल थे। इन विशेषज्ञों ने न केवल सजीव ऑपरेशन देखा, बल्कि उन्नत तकनीकों और रोचक मामलों पर विचार-विमर्श भी किया।
प्रोफेसर डॉ. प्रशांत लवानिया ने बताया कि इस तकनीक की एक बड़ी खासियत यह है कि मरीज सर्जरी के कुछ ही घंटों में चलने-फिरने लायक हो जाता है और जल्दी ही अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट आता है। उन्होंने इसे यूरोलॉजी क्षेत्र में "मेडिकल गेम-चेंजर" करार दिया।
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