आलू की कम पैदावार का शोर, जानिए क्या है हकीकत?

आगरा और आसपास के जिलों मेे इन दिनों आलू की खुदाई जोरों से चल रही है। इस साल खुदाई शुरू होने के साथ ही यह शोर मचा हुआ है कि इस बार आलू की पैदावार बहुत कम निकल रही है। इस शोरगुल को लेकर किसान दुविधा में हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखें या फिर खेत से ही बेच दें। क्या है वास्तविक स्थिति, एक रिपोर्ट-

Mar 5, 2025 - 13:36
 0
आलू की कम पैदावार का शोर, जानिए क्या है हकीकत?

-गिरधारी लाल गोयल-

आगरा। इस साल फिर से आलू उत्पादन दर कम होने का शोर मचा हुआ है। अभी तक ठंडे पड़े हुए व्यापारी भी भारी मन से मानने लगे हैं कि शायद आलू कम ही निकल रहा है।

आलू कम या सामान्य होने के बारे में जो तर्क दिए जा रहे हैं, वे ये हैं- दाने कम पड़े हैं, लेकिन जो दाने थे, वे बराबर फूले हैं। छोटे और बड़े नहीं हैं। 3797 की पैदावार दर कम बताने वाले आलू उत्पादकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि अब तो CPRI  का उत्पादन ज्यादा होता है। उसकी पैदावार इस साल भी 5-10 प्रतिशत ज्यादा ही होगी।

कोल्ड स्टोरेज पर वाहनों की भीड़ न होने के पीछे कम आलू उत्पादन का तर्क दिया जा रहा है जबकि असलियत यह है कि कोल्ड स्टोरेज की संख्या ज्यादा है। हर स्टोर में कनवेयर बेल्ट से आलू उतरता है, इसलिए कोल्ड स्टोरेज पहुंच रहे वाहन जल्दी से खाली हो जा रहे हैं। सड़कें चौड़ी और गड्ढे रहित होने के कारण आलू स्टोरेज के दौर में कहीं जाम आदि नहीं लग रहा।

अभी तक की स्थिति यह है कि 50  प्रतिशत खेतों में  आलू की खुदाई हो चुकी है। यह ध्यान रखने की बात है कि आलू की बुबाई पांच प्रतिशत और खुदाई चार प्रतिशत की दर से होती है। अगर 50 प्रतिशत खुदाई हो गई है तो कोल्ड स्टोरेज भी  40 प्रतिशत भर गए हैं । दस प्रतिशत माल खेतों में ढेर, बोरों या रोड पर रहता ही रहता है। यह एक बड़े खतरे की घण्टी है जो कि कोल्ड स्टोरेज पूरे होने की ओर इशारा कर रही है।

यदि मान लिया जाये कि कोल्ड स्टोरेज में आलू पिछले साल से ज्यादा नहीं होगा, तो वहीं बंगाल, गुजरात और पंजाब से खबरें मिल रही हैं कि वहां आलू का रकबा इस बार बहुत ज्यादा है। बंगाल में तो आलू के खेतों में बरसात का पानी भर गया था, उसमें ध्यान ऱखना चाहिए कि भारतीय खेती में बरसात की वजह से नुकसान से कहीं ज्यादा फायदा हो जाता है। खेत में बारिश का पानी भरने से एक कोने पर आलू सड़ा होगा तो एक कोने पर उत्पादन सवाया हो गया होगा।

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि प्रयागराज में डेढ़ माह तक चले महाकुम्भ में आलू की काफी खपत हुई है। यह नहीं भूलना चाहिए कि जितना आलू महाकुम्भ में खपा होगा, उससे ज्यादा तो यूपी के अंदर नबम्बर में ही खुद जाता था। लेकिन इस बार यूपी की सारी आगे-पीछे की फसल भी तो एक साथ आ रही है।

उत्तर प्रदेश में आलू की खुदाई होली तक पूरी हो जाएगी। उसके बाद तो बस समैटा ही होगा। अगर होली से दस दिन बाद तक आलू की खुदाई चल गई तो ये आलू कहां समायेगा, यह एक ऐसा सवाल है जिस पर आलू उत्पादक किसानों को अवश्य गौर करना चाहिए।

 

SP_Singh AURGURU Editor