टांगें कटने पर भी क्लेम नहीं मिला, आयोग ने दिए 51 लाख देने के आदेश

आगरा। लोग अपना बीमा इसलिए कराते हैं ताकि बुरे वक्त में सहारा मिल सके, लेकिन यह भी देखने में आ रहा है कि तमाम बीमा कंपनियां लोगों के क्लेम निरस्त कर देती हैं। ऐसे में लोगों को उपभोक्ता अदालतों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे ही एक मामले में आगरा के जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने एक युवक को 51 लाख रुपए 6 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने के आदेश जारी किए हैं। 

Mar 20, 2025 - 20:17
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टांगें कटने पर भी क्लेम नहीं मिला, आयोग ने दिए 51 लाख देने के आदेश
पीड़ित युवक प्रांजल गुप्ता के साथ अधिवक्ता रमा शंकर शर्मा।

जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार एवं सदस्य राजीव सिंह ने अपने एक आदेश में निभा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी गुड़गांव, हरियाणा को आदेश दिया है कि वादी प्रांजल गुप्ता पुत्र सुरेश चंद गुप्ता 51 लाख रुपये छह प्रतिशत ब्याज के साथ ही एक लाख रुपये मानसिक पीड़ा बतौर तथा 20 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।

वादी प्रांजल गुप्ता चंदवार रोड रामनगर फिरोजाबाद का मूल निवासी है और वर्तमान में आगरा के दयालबाग क्षेत्र में बसेरा रेजिडेंसी में रह रहा है। प्रांजल गुप्ता ने आयोग में समक्ष प्रस्तुत वाद में कहा कि वह कई बैंकों में पैसा ट्रांसफर करने का कार्य कर प्रतिमाह 40000 से 80000 रुपए कमाता है। वादी ने निभा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी गुड़गांव, हरियाणा से 50000 रुपये की एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी 29 मार्च 2019 को ली थी जो एक वर्ष के लिए (28 मार्च 2020 तक) मान्य थी। पॉलिसी के लिए उन्होंने किस्त के रूप में 10001 रुपए वार्षिक प्रीमियम भी अदा किया था।

पॉलिसी की शर्त के अनुसार आकस्मिक दुर्घटना होने पर 62 लाख 5 हजार रुपये का क्लेम दिया जाना निश्चित था। 27 दिसंबर 2019 को वादी दिल्ली से कालिंदी एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा था। तड़के करीब 3:00 बजे हाथरस जंक्शन से आगे पुरा स्टेशन के पास वादी ट्रेन से नीचे गिर गया और दोनों टांगें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गईं। वादी ने किसी तरह मोबाइल से पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया।

इस दौरान कई अस्पतालों में निरंतर इलाज चला, जिसमें उसका एक रुपये से अधिक खर्च हुआ। फिर भी डॉक्टर को सैप्टिक फैलने की आशंका से दोनों टांगें घुटने से नीचे काटनी पड़ीं। वादी ने बीमा कंपनी के लिए सारी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए क्लेम मांगा, लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहकर क्लेम निरस्त कर दिया के वादी की कुछ और अन्य पॉलिसी चल रही हैं जो उन्होंने छिपाई हैं और गलत आईटीआर के आधार पर क्लेम निरस्त कर दिया।

 

SP_Singh AURGURU Editor