एच1एन1 का म्यूटेशन है यह वायरस, तोड़ रहा है लोगों के शरीर, कुछ केसेज में वायरल के साथ स्वाइन फ्लू भी

राम कुमार शर्मा आगरा। खांसी-जुकाम तथा वायरल फीवर ने इन दिनों घरघर में पैर जमा लिए हैं। इस बार यह वायरस एच1एन1 ने अपना रूप बदल लिया है। अब यह केवल श्वसन तंत्र या पेट को नहीं वरन पूरे शरीर को प्रभावित कर रहा है।

Sep 3, 2024 - 13:30
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एच1एन1 का म्यूटेशन है यह वायरस, तोड़ रहा है लोगों के शरीर, कुछ केसेज में वायरल के साथ स्वाइन फ्लू भी

 यही कारण है कि बुखार के दौरान शरीर में तेज दर्द रहता है।  बुखार समाप्त होने के बाद शरीर की कमजोरी नहीं जा रही। चलने में परेशानी हो रही है। कुछ मामलों में एच1एन1 के साथ स्वाइन फ्लू वाला वायरस भी प्रभावित कर रहा है। 
यदि वायरल फीवर के दौरान सीने में दर्द हो या सांस लेने में ज्यादा परेशानी हो तो यह स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं। ऐसे मामलों में स्वाइन फ्लू की जांच कराकर तुरंत इसका इलाज कराना चाहिए। 
चिकित्सकों का कहना है कि वायरल से बचने के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क लगाना तथा सेनेटाइजर का प्रयोग कर इस वायरस से बचा जा सकता है। 
साइंटिफिक पेथोलाजी के निदेशक डा. अशोक  शर्मा ने बताया कि इस बार यह वायरस म्यूटेटेड है। यही कारण है कुछ लोगों में 650 एमजी की पेरासीटामोल देने के बाद भी इस बार फीवर नहीं उतरता। हालांकि यह वायरस वही पुराने एच1एन1 का लेटेस्ट म्यूटेशन है। 
बड़ी उम्र के लोग, बच्चे, मधुमेह व हृदय रोग से ग्रसित व्यक्तियों को यह वायरल बहुत कमजोरी दे रहा है। पिछली कोविड की लहरों ने सभी लोगों के फेंफड़ों को प्रभावित किया है। इस कारण खांसी लंबी चल रही है। डा. शर्मा के अनुसार उनके यहां होने वाली जांचों में कुछ मामलों में स्वाइन फ्लू भी वायरस के साथ आ रहा है।

अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो वायरल फीवर में भी तुरंत जांच करा लेनी चाहिए।  वरिष्ठ फिजीशियन डा. अतुल कुलश्रेष्ठ का कहना है कि कुछ वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं, कुछ पेट को प्रभावित करते है। इस बार का यह एच1एन1 वायरस पूरे शरीर को प्रभावित कर रहा है। मसल्स पर ज्यादा असर कर रहा है। इसके कारण शरीर में दर्द बहुत हो रहा है।

यह वायरस शरीर के सभी आरगन को प्रभावित कर रहा है। इस वायरल के प्रकोप के चलते लोगों की भूख समाप्त हो जाती है। कमजोरी बहुत होती है। दस दिन में यह वायरल पूरी तरह सही हो जाता है। जिन लोगों की किसी रोग के कारण प्रतिरोधी क्षमता कम है, उन्हें अधिक परेशानी होती है।

यदि बुखार के साथ सांस अधिक फूले अथवा सीने में दर्द हो तो जांच कराने की जरूरत पड़ सकती है।  क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा. विजय सिंघल का कहना है कि वायरल से बचाव के लिए कोविड वाला प्रोटोकाल अपनाना जरूरी है।

भीड़ की जगह पर मास्क लगाएं। बाहर से आने के बाद हाथों को सेनेटाइज करें। नोट गिनने के बाद हाथों को सेनेटाइज करें। वायरल होने पर लिक्विड का प्रयोग अधिकाधिक करें। बुखार होने पर केवल पेरासीटामोल लें। भूख नहीं है तो भी लिक्वड डाइट लेते रहें। 

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