वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में भिड़े भाजपा और विपक्षी सांसद

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक शुरू हो गई है। हालांकि सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसद किसी भी मुद्दे पर एक राय नहीं बना रहे। आज हुई बैठक में पक्ष और विपक्ष के सांसदों में काफी गरमागरमी देखने को मिली। विपक्षी सांसदों ने पूछा कि आखिरकार इस विधेयक को लाने की जरूरत ही क्या थी।

Sep 6, 2024 - 14:25
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वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में भिड़े भाजपा और विपक्षी सांसद

इस विधेयक पर सरकारी अफसर जो प्रेजेंटेशन दे रहे थे, उनसे भी विपक्षी सांसदों ने कहा कि वे सरकारी भाषा नहीं बोलें। विपक्षी सांसदों ने अफसरों से कहा कि वे तटस्थ रहें। हालांकि सत्ता पक्ष की तरफ से कहा गया कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वक्फ की संपत्ति का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक और लोककल्याणकारी उद्देश्यों के लिए हो न कि व्यक्तिगत हितों के लिए।  अधिकारियों ने ये भी बताया कि दिल्ली में 200 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ ने दावा ठोक रखा है।

जेपीसी का नेतृत्व भाजपाा सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं। आज की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वक्फ संपत्तियों और सड़क परिवहन और रेलवे मंत्रालयों से जुड़ी जमीन के बारे में जानकारी दी गई। शहरी विकास और सड़क परिवहन सचिव अनुराग जैन, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश गौतम, रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंफ्रास्ट्रक्चर) अनिल कुमार खंडेलवाल और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने जेपीसी को बिल के बारे में जानकारी दी। मंत्रालयों का तर्क था कि वक्फ संशोधन बिल से उन्हें सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने और विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी। इस पर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि अगर कोई संपत्ति गलत तरीके से वक्फ के रूप में अधिसूचित की गई है, तो मौजूदा कानूनों में इसे चुनौती देने का प्रावधान है। सरकार यह कहने की कोशिश कर रही है कि अगर वह ऐसी किसी भी संपत्ति पर दावा करती है तो कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।

बैठक के दौरान उस समय हंगामा मच गया जब शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश शासन द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे सके। समिति के एक विपक्षी सदस्य ने दावा किया कि कुछ जानकारी को दबाने की कोशिश की गई है। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि मंत्रालय विधेयक पर स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं रख रहे हैं और केवल सरकार की बातों को मान रहे हैं। विपक्ष के एक सांसद ने कहा कि ब्रिटिश राज के दौरान हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में कई खामियां थीं। ऐसी कई संपत्तियां हैं जिन्हें गलत तरीके से सरकारी घोषित कर दिया गया था।

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