क्लेम मांगने वाले बेटे की मौत के बाद मां ने लड़ा केस, 19 साल बाद मिला न्याय
आगरा। एक मां के जवान बेटे ने टाटा 407 गाड़ी खरीदी। बदमाशों ने इस गाड़ी को लूट लिया। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। गाड़ी की बीमा राशि का क्लेम किया गया तो इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम नहीं दिया। जिला उपभोक्ता प्रतियोष आयोग ने क्लेम देने का आदेश दिया तो इंश्योरेंस कंपनी मामले को राज्य प्रतियोष आयोग में ले गई। राज्य आयोग से जब तक निर्णय होता, वादी की मौत हो गई। इसके बाद केस लड़ा मृतक की बूढ़ी मां ने। अब आकर इस वृद्ध मां को क्लेम की राशि मिल सकी है।
आज आज जिला उपभोक्ता प्रतियोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने 75 वर्षीय नसीम को 9,58 लाख रुपये का चेक सौंपा। बुजुर्ग नसीम चेक पाकर तो खुश थीं, लेकिन खुशी के इस पल को साझा करने के लिए उनका बेटा रईस उनके साथ नहीं था।
रईस ने 1996 में एक टाटा 407 गाड़ी खरीदी थी। तीन जुलाई 1996 को बदमाशों ने रईस की टाटा 407 को किराए पर लिया। आगरा-टूंडला के रास्ते में बंदूक के नोक पर गाड़ी को लूट लिया था। रईस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें पुलिस ने तमाम विवेचना के बाद गाड़ी न मिलने तथा अपराधियों का पता न लगने पर एफआर लगा दी।
इसके बाद रईस ने अपनी बीमित गाड़ी की बीमा की राशि प्राप्त करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम के लिए प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन उसको क्लेम भी नहीं दिया गया। तब रईस ने जिला उपभोक्ता प्रतियोष आयोग प्रथम में बाद दायर किया। आयोग ने 7 मार्च 2003 को वादी रईस के पक्ष में निर्णय देकर बीमित राशि 3,21,500 में 6% ब्याज सहित 6 लाख 70000 453 रुपए देने के आदेश किए थे।
इंश्योरेंस कंपनी राज प्रतियोष आयोग में उक्त मामले को ले गई। इधर वादी रईस की सन 2008 में मृत्यु हो गई। वादी की 75 वर्षीय वृद्ध मां श्रीमती नसीम ने प्रतितोष आयोग में केस लड़ा। राज्य प्रतियोष आयोग से भी इंश्योरेंस कंपनी की अपील खारिज करते हुए जिला उपभोक्ता प्रतियोष आयोग प्रथम को वादिया को उक्त धनराशि ब्याज सहित अदा कराने के आदेश किया।
चेक मिलने के बाद नसीम का चेहरा खिल उठा। उसने फोरम अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मेरा बेटा नहीं है लेकिन कोर्ट ने मुझे न्याय दिया है, मैं बहुत खुश हूं।
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