धरती पर मंडराते खतरों पर आज यूएन में बैठक, मोदी-बाइडेन समेत 193 लीडर्स होंगे शामिल
न्यूयॉर्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) छह सालों के भीतर 30 करोड़ लोगों की नौकरियां खा सकती है। यानी जो काम आज 30 करोड़ लोग कर रहे हैं वो 2030 तक मशीनें करने लगेंगी। 2050 तक भारत के कोलकाता समेत दुनिया के 13 बड़े शहर पूरी तरह समुद्र में समा चुके होंगे। पिछले 16 सालों में दुनिया की शांति घटी है।
2023 में दुनिया में 155 देशों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। दुनिया में औरतों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म होने में 286 साल लगेंगे। एआई, क्लाइमेट चेंज, मानवाधिकारों समेत पांच मुद्दे हैं, जिन पर आज प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन UN के 193 देशों के लीडर्स की बैठक करेंगे। इसे समिट फॉर फ्यूचर नाम दिया गया है। इस समिट को 2021 में होना था पर ये तीन साल की देरी पर हो रहा है।
इस मीटिंग का मकसद धरती के भविष्य को आने वाले खतरों से बचाना है। समिट में ग्लोबल पीस, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, क्लाइमेट चेंज, मानवाधिकार और जेंडर जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। 2021 में यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने ये मीटिंग बुलाने की मांग की थी। दरअसल 2015 में यूएन ने दुनिया के खतरों को पहचानते हुए 17 गोल वर्ल्ड लीडर्स के सामने रखे थे। लगभग 10 साल पूरे होने को हैं इनमें से सिर्फ 17% गोल ही अचीव हो पाए हैं। 1970 से 2021 के बीच क्लाइमेट चेंज की वजह से 11,778 आपदाओं में 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
भारत ग्लोबल साउथ देशों का नेतृत्व करता है। क्लाइमेट चेंज हो या ग्लोबल पीस या मानवाधिकार ग्लोबल साउथ देश इन मुद्दों से जूझ रहे हैं। ऐसे में भारत ये समिट कराने के पक्ष में है।
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