मेट्रो का फिर दावाः टीबीएम से टनल निर्माण के दौरान कंपन का स्तर न्यूनतम, मकानों में दरारों की संभावना नगण्य

आगरा। मंडलायुक्त के निरीक्षण के बाद मेट्रो रेल कारपोरेशन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि टनल खुदाई की वजह से 1700 मकानों में दरार की बात सही नहीं है। मेट्रो जिस तकनीक से टनल बना रही है, उसमें मकानों मं दरारें आने की संभावना नगण्य है।

Nov 28, 2024 - 21:17
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मेट्रो का फिर दावाः टीबीएम से टनल निर्माण के दौरान कंपन का स्तर न्यूनतम, मकानों में दरारों की संभावना नगण्य

-मोतीकटरा में मेट्रो निर्माण के प्रभाव वाले इलाके में 151 घर हैं, इसलिए 1700 भवनों में दरारों की खबरें सही नहीं

 

मेट्रो के प्रवक्ता ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज से मनकामेश्वर मेट्रो स्टेशन के बीच अंतिम दौर की टनलिंग का कार्य संपूर्ण सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरुप चल रहा है। मोती कटरा इलाके में टनल निर्माण से जुड़ी जन समस्याओं को लेकर आगरा मेट्रो की टीम पूरी संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है। इसके अंतर्गत प्रभावित मकानों में रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है।

 

प्रवक्ता ने कहा कि मीडिया में आईं 1700 मकानों के प्रभावित होने की सही नहीं हैं, क्योंकि निर्माण के प्रभाव वाले इलाके में 151 घरों को चिन्हित किया गया था। निर्माण से पहले हुए बिल्डिंग कंडीशन सर्वे में 39 घर जर्जर हालत में पाए थे, जिनमें से 26 को नगर निगम ने रहने के लायक नहीं होने का नोटिस दिया हुआ है। मेट्रो ने मानवता के नाते अब तक 23 घरों को रिपेयर किया है और बाकी पर कार्य जारी है।

 

मेट्रो के प्रवक्ता ने कहा कि आगरा मेट्रो की टीम ये भी आश्वस्त करना चाहती है कि टीबीएम से टनल निर्माण के दौरान कंपन न्यूनतम स्तर है, जो अंतर्राष्ट्रीय एक्सपर्ट की देखरेख में पूरी तरह सुरक्षित तरीके से किया जा रहा है। प्रभावित घरों में कंपन को मापने के लिए वाइब्रेशन मीटर लगाया गया है, जिसकी लगातार मॉनिटरिंग होती है।

 

सामान्यत: टनल जमीन से 12-20 मीटर नीचे निर्मित होती है और मशीन से उत्पन्न कंपन अंतर्राष्ट्रीय मानकों से लगभग 100 गुना कम है। औसतन 20 एमएम प्रति सेंकड की तीव्रता के कंपन होने पर भी मकानों पर कोई असर नहीं पड़ता है। जिससे मकानों में दरार आदि की समस्या की संभावना बेहद कम है।

 

टनलिंग पूरी तरह सुरक्षित है और सामान्य बिल्डिंग्स पर इसका कोई असर नहीं आता है। मोतीकटरा इलाके में देखा गया है कि जो घर बहुत पुराने और जर्जर अवस्था में हैं, उनमें पहले आई दरारों में कुछ इज़ाफा हुआ है। इस इलाके में ज्यादातर घर आरसीसी या कंक्रीट के न होकर पुराने समय की पटिया से निर्मित अर्थात बीम पर पत्थर रखकर बनाए गए हैं।

 

आगरा मेट्रो की टीम ऐसे जर्जर प्रभावित घरों को रिपेयर करने काम कर रही है। अभी प्राथमिक स्तर पर प्लास्टर व पैच वर्क कराया गया है। जिसे टनल निर्माण के बाद पूरी तरह मरम्मत करके ठीक किया जाएगा। आगरा मेट्रो ने इस कार्य में लगे कर्मियों की संख्या को भी 70 से बढ़ाकर 125 करने का फैसला किया है, जिससे मरम्मत के काम में तेजी आएगी।

 

मरम्मत कार्य की समीक्षा के लिए मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, नगर निगम, राजस्व विभाग और पीडब्लूडी की संयुक्त टीम का भी गठन हुआ है। आगरा मेट्रो की टीम मेट्रो के काम से प्रभावित सभी घरो के मरम्मत कार्य के लिए प्रतिबद्ध है।

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SP_Singh AURGURU Editor