पेड़ काटने में माथुर फॊर्म ने 17 लाख जुर्माना भरा, डालमिया मामले में 15 शामिल, एक ने ही जवाब दिया
आगरा। छटीकरा-वृंदावन मार्ग स्थित डालमिया फॊर्म हाउस और आगरा के दयालबाग क्षेत्र में स्थित माथुर फॊर्म हाउस में हरे पेड़ काटे जाने के मामले में उत्तर प्रदेश वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र के साथ दोनों ही मामलों की अनुपालन रिपोर्ट का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट वन विभाग की अनुपालन आख्या पर आगामी 24 जनवरी को गौर करेगा।
-वन विभाग विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत अनुपालन आख्या में दी है यह जानकारी
-माथुर फॊर्म हाउस को नये पेड़ लगाने को .3 हेक्टेयर जमीन देनी है जो अभी नहीं दी है
-डालमिया फॊर्म के कटे पेड़ों के बदले वृक्षारोपण को नौ हेक्टेयर जमीन मांगी है विभाग ने
वन विभाग द्वारा माथुर फॊर्म हाउस के बारे में बताया गया है कि मालिकान ने 17 लाख रुपये का जुर्माना तो अदा कर दिया है, लेकिन काटे गए पेड़ों के बदले 340 नये पेड़ लगाने के लिए वन विभाग को अभी ,3 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध नहीं कराई है। माथुर फॊर्म हाउस के मालिकान को .3 हेक्टेयर जमीन तो वन विभाग को उपलब्ध करानी है ही, साथ ही वृक्षारोपण पर आने वाला खर्चा भी वन विभाग को अदा करना होगा। जिस जमीन पर 340 पौधे लगाए जाएंगे, उसे रिजर्व फॊरेस्ट घोषित कर दिया जाएगा।
मथुरा जिले में छटीकरा-वृंदावन मार्ग स्थित डालमिया फॊर्म हाउस के बारे में वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को आख्या दी है कि इस जगह पर पेड़ों की कटाई में कुल 15 लोग शामिल हैं, जिनमें से केवल शंकरिया सेठ ने ही विभाग को जवाब दिया है, अन्य ने नहीं। डालमिया फॊर्म हाउस से काटे गए सैकड़ों पेड़ों के बदले में लगाए जाने वाले नए पेड़ों के लिए वन विभाग ने इन लोगों से 9 हेक्टेयर जमीन की मांग की है, जो वन विभाग को अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।
वन विभाग ने अपनी अनुपालन आख्या में सर्वोच्च अदालत से यह प्रार्थना भी की है कि अगर डालमिया फॊर्म हाउस से काटे गए पेड़ों के एवज में नए पेड़ लगाने के लिए नौ हेक्टेयर जमीन नहीं दी जाती है तो वन विभाग की इसी जगह (डालमिया फॊर्म हाउस) पर ही पेड़ लगाने की अनुमति दी जाए।