शहर भर के गुरुद्वारों में गुरु तेग बहादुर साहिब का शहादत दिवस श्रद्धा के साथ मना
आगरा। गुरु तेग बहादुर साहिब का शहीदी दिवस शहर भर के गुरुद्वारों में श्रद्धा के साथ मनाया गया। गुरुद्वारा गुरु का ताल और गुरुद्वारा माईथान समेत शहर भर के गुरुद्वारों में आयोजित कार्यक्रमों में विद्वानों ने गुरु तेग बहादुर की शहादत पर प्रकाश डाला।
गुरुद्वारा गुरु का ताल में विशेष कीर्तन समागम का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक रागी जत्थे व धर्म प्रचारकों ने गुरबाणी की अमृत वर्षा के साथ-साथ गुरु तेग बहादुर साहिब के सनातन और हिंदुत्व की रक्षा के लिए मुगलिया हुकूमत के साथ किए गए संघर्ष, आगरा में गिरफ्तारी और फिर दिल्ली में शहादत जैसे विषयों पर पर विस्तार से अपने विचार रखे।
मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि आगरा की धरती से गुरुजी ने अपने तीन सिख भाइयों सतीदास, भाई मतिदास, भाई दयाल जी के साथ गिरफ्तारी दी थी। नौ दिन तक उन्होंने इस स्थान पर रहते हुए तप किया, जिसके बाद उन्हें दिल्ली ले जाया गया, जहां चांदनी चौक में उनकी शहादत हुई।
गुरुद्वारा में आयोजित कीर्तन समागम में रुद्रपुर से आए भाई गुरविंदर सिंह ने अपनी अमृतमयी वाणी से गुरु तेग बहादुर सिमरिए घर नौ निधि आवे धाए, सब थाई होए सहाय...शबद सुनाकर संगत को निहाल कर दिया। उन्होंने बताया कि उस दौरान गुरु जी की शहादत ने हिंदुत्व की तो रक्षा की ही, साथ ही देश की संस्कृति सभ्यता को भी बचाया।
बाहर से आए जत्थे के अलावा गुरुद्वारा गुरु का ताल के भाई हरजीत सिंह ने भी कीर्तन किया। रुद्रपुर के भाई हरि सिंह ने गुरमत विचार रखे। इस दौरान गुरुद्वारा गुरु का ताल के जत्थेदार बाबा राजेंद्र सिंह, बाबा अमरीक सिंह, महंत हरपाल सिंह, ग्रंथी हरबंस सिंह, टीटू सिंह, सतवीर सिंह, हरनाम सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे।
गुरुद्वारा माईथान पर गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। अखंड कीर्तनी जत्था के भाई जसपाल सिंह ने आसा दी वार का कीर्तन किया। इस अवसर पर भाई गुरविंदर सिंह रुद्रपुर वाले ने एक गुरमुख परोपकारी विरला आया का गायन किया। भाई हरजीत सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा गुरु का ताल ने शीश दिया पर सी ना उचरी..का गायन करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब ने शीश दे दिया, लेकिन धर्म को नहीं हारा। हिन्दू धर्म को बचाने के लिए यह गुरु तेग बहादुर साहिब ने अपना बलिदान दे दिया। किसी धर्म को बचाने के लिए ऐसी मिसाल कहीं और नहीं है, इसीलिए उन्हें हिन्द की चादर कहते हैं।
भाई विजेंद्र सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा माईथान ने भी शबद गायन किया। स्त्री सत्संग सभा गुरुद्वारा माईथान ने भी गुरुबाणी का गायन किया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने सरबत के भले की अरदास की। कीर्तन दरबार में प्रधान कंवल दीप सिंह, चेयरमैन परमात्मा सिंह समन्वयक बंटी ग्रोवर, पाली सेठी, रसपाल सिंह, प्रवीन अरोरा, कुलविंदर सिंह बाबा, सतविंदर सिंह, रोहित कत्याल, राना रंजीत सिंह, परमजीत सिंह मक्कड़, बंटी ओबराय, बबलू,अर्शी, रविंदर ओबराय, परमजीत सिंह सरना, गुरमीत सिंह सेठी ,वीरेंद्र सिंह वीरे, हरमिंदर सिंह पाली, सतनाम सिंह, निरवेर सिंह आदि की उपस्थित उल्लेखनीय रही।
गुरुद्वारा दशमेश दरबार में कीर्तन दरबार
गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर कीर्तन दरबार में गुरवाणी का पाठ हुआ। ज्ञानी मंशा सिंह द्वारा श्री रहिरास साहिब के पाठ साथ अमृतमयी गुरुवाणी कीर्तन समागम की शुरुआत हजूरी रागी वीर अर्शदीप सिंह, वीर भाई गुरशरण सिंह द्वारा की गई।
समागम में प्रधान हरपाल सिंह, राजू सलूजा, श्याम भोजवानी, सुरेंद्र सिंह लवली, मलकीत सिंह, गुरिंदर सिंह ओबेरॉय, इंद्रजीत सिंह वाधवा, सुरेंद्र सिंह लाडी, प्रमोद अरोड़ा, अमरजीत भसीन आदि मौजूद रहे।
लोहामंडी गुरुद्वारे में श्री सुखमनी साहिब का पाठ
ऐतिहासिक गुरुद्वारा दुख निवारण श्री गुरु नानक देव महाराज जी के चरण छोह प्राप्त स्थान नयाबांस लोहामंडी में गुरु तेग बहादुर साहिब का बलिदान दिवस श्रद्धा के साथ मनाया गया। स्त्री सत्संग की बहनों द्वारा गुरु नानक की वडियाई सत्संग श्री सुखमनी साहिब के पाठ के साथ हुई। सभी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेका।
मुख्य रूप से मधु सुखलानी, हरमीत कौर, चांदनी भोजवानी, गरिमा अरोड़ा, अवनीश कौर, पूनम तलवानी, अलका आडवाणी, कोमल कुकरेजा, भारती वाधवानी, हिमांशी ढालानी, हेमा असरानी, नीलम अरोड़ा, जसमीत अरोड़ा, साक्षी, पायल, गुड़िया, बबली आदि मौजूद रहीं।
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