'इक दिन मैं परवाज भरूंगा, रोके से भी नहीं रुकूँगा...', रतन टाटा पर राजीव गुप्ता की जनस्नेही कलम चली, जो लिखा चर्चा में है!

देश के उद्योगपति रतन टाटा के निधन से आगरा के उद्योग जगत में भी शोक की लहर है। स्थानीय कारोबारी उनके निधन को अपूर्णनीय क्षति बता रहे हैं तो लोकस्वर संस्था के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने उन्हें पुरुषोत्तम की परिभाषा को चरितार्थ करने वाला कहा है। आईए पढ़ते हैं राजीव के इस लेख में उन्हीं के शब्दों में जो उन्होंने और गुरू से साझा किया है।

Oct 10, 2024 - 17:40
Oct 10, 2024 - 19:17
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'इक दिन मैं परवाज भरूंगा, रोके से भी नहीं रुकूँगा...', रतन टाटा पर राजीव गुप्ता की जनस्नेही कलम चली, जो लिखा चर्चा में है!

साबित कर गये मर्यादा पुरुषोत्तम बनाना नामुमकिन नहीं है उद्योगपति का...

नहीं बनाया गधों को बाप हमेशा रहे अमर सिंह के घोड़े पर सवार
सच्चा युग पुरुष प्रभु श्री चरणों में... 


आज भारत का एक और मर्यादा पुरुषोत्तम नागरिक, उद्योगपति, मानव की सेवा करने वाला विश्व में भारत को विकासशील देशों के साथ ऊंचाई तक ले जाने वाला जो आदिकाल से मर्यादा पुरुषोत्तम की परिभाषा को चरितार्थ  करके निद्रा में लीन होकर प्रभु की शरण में सद्गति प्राप्त कर गया।

आज की पीढ़ी के होश संभाले में तमाम राजनीतिक उतार चढ़ाव, पार्टियों की दादागिरी, गुंडागर्दी, आतंकवाद, देश विदेश की राजनीतिक हलचलें व्यापारी रतन को ना तो हिला पाईं ना तो झुक पाईं। वह अपने सिद्धांत पर दुर्गति से देश को विकास और रोज़गार देते हुए आगे ही बढ़ते चले गये और आज उन्होंने यह साबित कर दिया है कि उनसे तमाम बड़े जो उद्योगपति आए हैं लेकिन वे देश के विकास में कोई सहायक नहं हुए हैं। श्री टाटा ने युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श मार्गदर्शन का काम किया है बल्कि युवा वर्ग में और अन्य भारतीय लोगों मे जिस प्रकार से पैसा कमाने के लिए साम दंड भेद का जो उदाहरण दिया है उसमें यह रतन हमेशा कोनूहूर हीरे की तरह न केवल चमकता रहेगा बल्कि सच्चे और ईमानदार नागरिक बनने के साथ व्यापार में नए आयाम स्थापित करने की ओर अग्रसित करेगा। जिस प्रकार टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा जी ने तमाम समय भारत देश की डगमगाती स्थिति में न केवल सहारा दिया है बल्कि उबरने में भरपूर योगदान दिया है। पूँजीवाद, सरकार की मेहमानवाज़ी, विलासता  और चाकचौंद से दूर रहे। उभरते उद्योगपतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए ।

हालांकि भारत रत्न के सच्चे हकदार आज रतन टाटा ही होने चाहिए थे लेकिन कहते हैं ना की अच्छा और ईमानदार व्यक्ति भाई भतीजावाद के आगे और राजनीतिक महत्व आकांक्षा से राजनीतिक लोगों के पैरों तले रौंद दिये जाते हैं। रतन टाटा जैसे व्यक्ति को जो अपने आप में रतन हो उसे भारत रत्न की क्या आवश्यकता है।

हालांकि विश्व में जो रतन टाटा जी का स्थान है व्यापार जगत में सदियों सदियों तक जो नाम एनसाइक्लोपीडिया की तरह लिया जाएगा साथ ही न केवल लिया जाएगा बल्कि आने वाले एमबीए की पढ़ाई में उनकी जीवनी भी पथक्रिम का हिस्सा जाए तो सधर्मी व्यापारी और सच्चा देश भक्त होने में मदद करे।

भारत के पॉइंट वन परसेंट नागरिक अगर आज के इस दौर में पूंजी हड़पने और अनैतिक सत्ता संधान करने के दौर में कठिन मार्ग पर चल कर भारत को विश्व गुरु बनाने से नहीं रोक सकता हालाँकि हर क्षेत्र के असुरों से लड़ना एक युग जीतने के बराबर होगा लेकिन बहुत ज़रूरत है और रतन टाटा की ।

मैं पूरे भारत के विशेष करके उत्तर प्रदेश और आगरा के समस्त व्यापार जगत की तरफ से क्योंकि टाटा समूह आगरा के लिए विशेष लगाव किसी से छुपा नहीं आगरा की व्यापार जगत का तारा डॉ रंजना बंसल से बड़ा स्नेह था। ऐसी शख़्सियत को न केवल अश्रूपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। बल्कि कामना करता हूं कि पुनर्जन्म में वह फिर एक बार भारत की धरती पर जन्म लें और जो वेस्ट बंगाल और बिहार जैसे आतंकवादी क्षेत्र में उन्होंने व्यापार स्थापना की है उसी प्रकार से दोबारा वह स्थापित करेंगे।

भारतीय उद्योग जगत के महानायक व टाटा समूह के चैयरमेन, सरल हृदय, मृदुभाषी, एमिरेट्स, पद्म विभूषण श्री रतन टाटा के निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि!

सुरेंद्र शर्मा जी के शब्दों में
 
इक दिन मैं परवाज़ भरूँगा,
रोके से भी नहीं रुकूँगा।
अब तक सबका मान रखा है,
मौत को क्यूँ नाराज़ करूंगा।

राजीव गुप्ता की जनस्नेही कलम से, अध्यक्ष लोकस्वर आगरा 

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