लोहिया जी को कानपुर में भीख मांगते मिले थे कृष्ण चंद्र सहाय
आगरा। सत्ता व सम्पत्ति से दूर रहने वाले गांधीवादी कृष्ण चन्द्र सहाय की पंचम पुण्य तिथि पर यूथ हॉस्टल, संजय प्लेस पर रविवार को आयोजित समारोह में उनका भापपूर्ण स्मरण किया गया। सहाय जी के गांधी विचार, चम्बल घाटी शांति मिशन, देहदान, जीवन भर अन्तिम व्यक्ति की मुक्ति को लेकर किये गये अविस्मरणीय व अतुलनीय योगदान का इस मौके पर वक्ताओं ने उल्लेख किया।
-दिवंगत गांधीवादी नेता की पांचवीं पुण्यतिथि पर दीना नाथ तिवारी को सहाय स्मृति सम्मान
इस समारोह में बड़ी संख्या में गांधीवादी विचारकों, समर्थकों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, रंगकर्मी, कवि व शायरों आदि ने हिस्सा लिया।
मुख्य अतिथि सांसद और सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन सहित अन्य अतिथिगणों ने वरिष्ठ गांधीवादी दीना नाथ तिवारी को गांधी विचार के माध्यमों से की गई उनकी आविस्मरणीय एवं अतुलनीय सेवाओं हेतु स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर 'कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया।
मुज़फ्फरनगर की मीरपुर विधान सभा के हाल ही में हुए उप चुनाव में ककरोली गांव के एक मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार के लिए लड़ने वाली और दूसरे मतदाताओं को जागरूक करने वाली दो महिला मतदाताओं तोहिदा व तन्जिला को सहाय स्मृति लोकतंत्र रक्षक सम्मान से नवाजा गया। इन्हें सम्मान देते वक़्त पूरा सभागार तालियों के शोर से गूंज उठा। दुशाला, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न के अलावा दोनों को 11-11 हज़ार रुपये की धनराशि भी प्रदान की गई।
इस अवसर पर रामजीलाल सुमन ने कहा कि सहाय जी सबसे पहले समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के सम्पर्क में आये। किसी कार्यक्रम को सम्पन्न करने जब डॉ. लोहिया सम्भवतः कानपुर प्लेटफार्म की ओर जा रहे थे, कृष्ण चन्द्र सहाय उनको भीख मांगते नजर आये। डॉ. लोहिया ने समाजवादी कार्यकर्ताओं को उसी वक्त आदेशित किया कि वह सहाय जी के रहने के बन्दोबस्त के साथ-साथ उनकी शिक्षा की भी मुक्कमल व्यवस्था करें।
उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन के समय यूपी में महावीर भाई और सहाय जी ही इसके कर्ता-धर्ता थे। वे निष्ठावान गांधीवादी कार्यकर्ता थे। उनके लिबास से ही हमें प्रेरणा मिलती थी। जीवन भर मूल्यों के लिए जिये। डाकुओं के हदय परिवर्तन कराने में उनका बड़ा योगदान था।
वरिष्ठ गाँधीवादी शशि शिरोमणि ने कहा कि सहाय जी के जीवन को नापना, तोलना, जांचना, समझना आसान नही है. अपनाना तो बहुत ही हिम्मत, क्षमता शक्ति और आत्मबल का काम है।
गांधी विचार की शक्ति से निरंतर काम करने वाले 'श्री कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान'से विभूषित वरिष्ठ गांधीवादी दीनानाथ तिवारी ने अपने संदेश में कहा कि सहाय जी बड़ी से बड़ी चुनौती को सहजता से स्वीकार करने की क्षमता, हिम्मत रखने वाले व्यक्तित्व थे।
डॉ.अशोक शिरोमणि कहा कि उनकी वेषभूषा, पहनावा अपने ही ढंग का था और साइकिल की सवारी के साथ यही उनकी पहचान बन गई। डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कहा सहाय जी की पारदर्शिता ऐसी थी कि हर साल अपना खाता सार्वजनिक कर सभी का आभार व्यक्त करते और सबकी खैर खबर लेते थे।
डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा कि सहाय जी ने गांधी को पहले आत्मसात किया और फ़िर समाज को संदेश दिया। महिला शांति सेना की प्रमुख वत्सला प्रभाकर ने कहा कि सहाय जी बताते थे कि गांधी जी कहा करते थे कि लापरवाही अज्ञानता से भी ज्यादा घातक है। उनके जीवन में लापरवाही का कोई स्थान नहीं था।
स्व. कृष्ण चंद सहाय की पुत्री मधु सहाय जोशी ने सभी का आभार जताया एवं संचालन हरीश ‘चिमटी’ द्वारा किया गया।
आगरा पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष महेश शर्मा, बल्देव भटनागर, अमीर अहमद, सपा नेता धर्मेंद्र यादव गुल्लु, सलीम शाह, गौरव यादव, अशफाक, राम नरेश, वासुदेव जैसवाल, सुनील गोस्वामी, राजीव अग्रवाल, ममता पचौरी, वचन सिंह सिकरवार, शिवराज यादव, सैयद महमूद उज्जमा, सीमान्त साहू, कल्पना शर्मा, जीएस मनराल,आदर्श नंदन, डा. गिरजा शंकर शर्मा, दिव्या शर्मा, नीलम शर्मा, नेहा माथुर, रोहित रावी, महेश सक्सेना, प्रतिभा स्वरूप, शैलजा, डॊ.असीम आनंद, नसरीन बेगम, आभा चतुर्वेदी, शंभू चौबे, शमी आगाई, नीरज स्वरूप, अश्वनी शिरोमणि, अमरीश पटेल, डॊक्टर मुनीश्वर गुप्ता, डॊक्टर शशि तिवारी, झिल्लो राम वाल्मिकी, राजीव अग्रवाल, डॊक्टर प्रदीप श्रीवास्तव भी इस मौके पर मौजूद थे।
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