लाइट मोटर वाहन लाइसेंसधारक भी चला सकते हैं कामर्शियल वाहन

नई दिल्ली। अब हल्के मोटर वाहन यानी लाइट मोटर वाहन लाइसेंस धारक भी 7500 किलोग्राम तक के कामर्शियल वाहन चला सकेंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने छह नवंबर को इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने ये भी कहा कि बीमा कंपनियां लाइट मोटर वाहन लाइसेंस के आधार पर इंश्योरेंस क्लेम से मना नहीं कर सकतीं।

Nov 6, 2024 - 13:28
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लाइट मोटर वाहन लाइसेंसधारक भी चला सकते हैं कामर्शियल वाहन

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग ऑथोरिटी ड्राइविंग लाइसेंस देते समय नियमों का पालन करें। बेंच की तरफ से फैसला पढ़ते हुए जस्टिस ऋषिकेश राय ने कहा कि यहां सिर्फ कानून का सवाल नहीं है। कानून के सामाजिक असर को भी समझना जरूरी है, ताकि लोगों के सामने मुश्किल न खड़ी हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों लोग ऐसे परिवहन वाहन चला कर रोजगार कमा रहे हैं, जिनका बिना भार डाले वजन 7500 किलोग्राम से कम होता है। लाइट मोटर वाहन लाइसेंस रखने वाले ऐसे ड्राइवर अपना अधिकतम समय गाड़ी चलाते हुए बिताते हैं। इंश्योरेंस कंपनियां यह दिखाने में नाकाम रही हैं कि हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारक ड्राइवरों के हेवी कामर्शियल वाहन चलाने के चलते दुर्घटनाएं हो रही हैं। कोर्ट ने कहा कि सड़क सुरक्षा पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर विषय है। पिछले साल भारत में 1.7 लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इसके लिए सिर्फ हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। सीट बेल्ट, हेलमेट जैसे नियमों का पालन न होना, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल, नशा जैसे कई कारण हैं जिनके चलते सड़क दुर्घटना होती हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7500 किलोग्राम तक के वजन वाले निजी या कमर्शियल वाहनों में अंतर करना सही नहीं होगा। विशेष लाइसेंस का नियम इससे अधिक वजन के वाहनों के लिए होना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को ड्राइविंग लाइसेंस देते वक्त हर नियमों का पालन करना चाहिए। कोर्ट का मतलब ये था कि अथॉरिटी ड्राविंग टेस्ट जरूर ले। 

2017 में मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने कहा था कि जिन ट्रांसपोर्ट व्हीकल का कुल वजन 7,500 किलोग्राम से कम हो, उन्हें LMV यानी लाइट मोटर व्हीकल की परिभाषा से बाहर नहीं किया जा सकता। इस फैसले के बाद बड़ी संख्या में बीमा क्लेम शुरू हो गए। इसके खिलाफ इंश्योरेंस कंपनियों ने याचिका दाखिल की थी।

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