एआई के बेहतर उपयोग सीखिए, सरकार ने तीन केन्द्र खोले हैं
मथुरा। राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले माह ही सबसे महत्वपूर्ण तीन जगहों पर एआई (कृत्रिम बुद्धिमता) का उसका उपयोग करने के लिए तीन सेंटर शुरू किए हैं।
-जीएलए के 13वें दीक्षांत समारोह में बांटीं गईं 4039 उपाधियां, इनमें 19-19 गोल्ड और सिल्वर मेडलिस्ट
-बेहतर इंसान बनाना है शिक्षा का मूल उद्देश्य- दिनेश कुमार शुक्ला
प्रो. सहस्त्रबुद्धे जीएलए यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। दीक्षांत समारोह में 19 गोल्ड और 19 सिल्वर मेडलिस्ट के साथ कुल 4039 उपाधियां प्रदान की गईं। उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पर एआई उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य प्रारंभिक रोग की भविष्यवाणी, निदान और महामारी ट्रैकिंग पर ध्यान केंद्रित करना है। यह आयुष दवाओं सहित स्वास्थ्य सेवा के लिए परीक्षणों और डेटा संग्रह सपोर्ट भी करेगा, जबकि वहनीयता, गुणवत्ता और पहुंच से संबंधित चुनौतियों का समाधान करेगा।
उन्होंने कहा कि आईआईटी रोपड़ के नेतृत्व में कृषि पर एआई केंद्र का उद्देश्य फसल की पैदावार, मौसम और स्थानीय परिस्थितियों पर डेटा का लाभ उठाकर खेती के तरीकों को बदलना है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत करके, यह बुवाई, कटाई और फसल स्वास्थ्य पर एआई-संचालित, वास्तविक समय मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह इसलिए है कि बहुत किसान से पीड़ित हैं। कई जगह आत्महत्याएं हो रही हैं। यह एआई केंद्र किसानों को सही दिशा दिखाएगा।
प्रो, सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि तीसरा एआई केंद्र आईआईटी कानपुर में खोला गया है। आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में संधारणीय शहरों पर यह केंद्र स्मार्ट सिटी नियोजन, यातायात प्रबंधन और कुशल संसाधन वितरण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ दिलाएगा। सेंसर, जीआईएस मानचित्रों और उपग्रह फ़ीड से डेटा को एकीकृत करके, यह संसाधन की जरूरतों का अनुमान लगाएगा और सार्वजनिक स्थान के डिजाइन को बेहतर बनाएगा।
संस्थान केन्द्रों से करें एमओयू साइन
उन्होंने कहा कि जब यह तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सहायता मिलना शुरू होगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तीन ही इंस्टीट्यूट के लिए ही हैं। हमें ऐसे ही उनके साथ एमओयू कर उनसे जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं। इसके बाद स्टूडेंट को वहां इंटर्नशिप के रूप में भेजकर उनकी भी पढ़ाई कैसे करवा सकते हैं, इसके लिए हर यूनिवर्सिटी के हर कॉलेज के प्राध्यापकों को कोशिश करनी पड़ेगी। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय को भी प्लानिंग करने की जरूरत है।
प्रदूषण से मुक्ति हेतु पाठ्यक्रमों की आवश्यकता
प्रो, सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि हमें यह भी सोचने की जरूरत है कि हमारे गांव, शहर और राज्य प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इस समस्या के समाधान हेतु ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं और यूनिवर्सिटी द्वारा सतत विकास पाठ्यक्रम चलाये जायें। कोशश रहे कि विद्यार्थियों का इस ओर ध्यान आकर्षित हो और छात्र जब इंटर्नशिप पर जायें अथवा जॉब पर जायें तो वह अपनी कार्यशैली में प्रदूषण रहित विकास की भावना के साथ कार्य करें। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
हैकाथॉन से बढ़ रही भारत की ताकत
प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने दीक्षांत समारोह में मौजूद छात्र-छात्राओं से कहा कि आप सभी इनोवेटर हो। भारत की इनोवेटिव ताकत कितनी है, यह हम नहीं जानते थे। यह एआईसीटीई के स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन शुरू करने से पता चला। इसमें जीएलए के भी कई छात्रों ने प्रतिभाग किया होगा। इसका हाल ही में सातवां एडीशन पूरा हुआ है। अभी आठवां चल रहा है। इसके तहत सरकारी विभागों की समस्या, कंपनियों की समस्या, ऑटोमेटिक एनर्जी की समस्या, स्पेस साइंस की समस्या, रेलवे की समस्या, स्वास्थ्य मंत्रालय की समस्या या किसी एनजीओ की समस्या को छात्रों के सामने पेश करने के बाद जो समाधान निकल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उस समाधान से देश को आगे बढ़ने में काफी मदद मिल रही है। अनेक स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं। पिछले नौ वर्ष पहले की बात की जाये तो ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर भारत था, लेकिन पहली ही बार में पिछले वर्ष जब यह इंडेक्स जारी हुई तो भारत 39वें स्थान पर पहुंचा। इसी तरह आधा रास्ता तय हो चुका है और आधा करना बाकी है। भारत की 140 करोड से अधिक आबादी है। आगे भी लोकतंत्र के हिसाब से आगे बढ़ना है।
भारत के डीएनए में है उद्यमिता और इनोवेशन
प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि भारत की आत्मा, भारत का डीएनए उद्यमिता और इनोवेशन का है। यही वजह है कि हमारे जो अनपढ़ लोग हैं वह भी इनोवेशन/नवाचार करते हैं। भले ही उसको जुगाड़ कहा जाता है। वह किसी से कम नहीं है। ऐसे लोगों को भी आगे लाने के लिए राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन में धूल के पेटेंट किए जा रहे हैं। जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करते हैं उनमें तो इनसे कहीं अधिक सामर्थ्य होना चाहिए।
दीक्षांत समारोह कभी न भूलने वाला पल: दिनेश शुक्ला
मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 13वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विशिष्ट अतिथि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला ने अपने चार दशकों के अनुभव को विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए उनसे अपने मूल स्वरूप में रहने की बात की।
उन्होंने कहा कि दीक्षा एक प्रकिया है, जिसमें गुरु अपने शिष्य को व्यावहारिक शिक्षा, ज्ञान, तकनीकी एवं मूल्यों की शिक्षा देता है। बेहतर इंसान बनाना शिक्षा का मूल उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने नवीन शिक्षा नीति पर बात करते हुए बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई।
उन्होंने मानव संसाधन के विकास पर चर्चा की और कहा कि विकसित भारत के मिशन को उचित शिक्षा एवं मानव संसाधन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने तकनीकी विकास पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक कभी अच्छी-बुरी नहीं होती, बल्कि नियति के अनुसार उसका प्रयोग इसे अच्छा-बुरा बनाता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के द्वारा आ रहे बदलावों के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इसके बदले में क्या-कुछ खोया अथवा छोड़ा जा रहा है।
उन्होंने एआई के माध्यम से संभावित बदलावों पर चर्चा करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव की वास्तविक बुद्धिमत्ता पर हावी ना हो, इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है। उन्होंने सभी को प्रासंगिक रहने की सलाह दी और कहा कि अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए क्या-"कब-कहां जैसे तत्वों पर ध्यान देना होगा।
जीएलए विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में वर्ष 2024 में विभिन्न पाठ्यक्रमों की शिक्षा प्राप्त कर चुके विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें 19 गोल्ड और 19 सिल्वर मेडलिस्ट छात्र भी शामिल थे। कुल 4039 उपाधियां प्रदान की गईं। इसके साथ ही बीएससी ऑनर्स बायोटेक, बीएससी ऑनर्स केमिस्ट्री, बीए ऑनर्स अंग्रेजी, बीबीए फैमिली बिजनेस, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग, बीटेक बायोटेक, बीटेक बायोटेक, बीटेक सीएस सीसीवी, डीए, सीएसएफ, आइआइओटी, बीसीए ऑनर्स, बीकॉम ऑनर्स एलएलबी, एमएससी बायोटेक्नोलॉजी, एमएससी माइकोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, एमएससी केमिस्ट्री, एमफार्म फार्माकोलॉजी, डिप्लोमा फार्मेसी सहित पॉलीटेक्निक (डिप्लोमा) के 24 विद्यार्थियों को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।
इन पाठ्यक्रमों में इतनी दी गईं डिग्रियां
जीएलए विश्वविद्यालय से वर्ष 2024 में पीएचडी के 85, बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर 105, बीएससी ऑनर्स बायोटेक के 31, बीएससी ऑनर्स कैमिस्ट्री के 18, बीएससी ऑनर्स फिजिक्स के 9, बीए ऑनर्स इकॉनोमिक्स के 5, बीए ऑनर्स अंग्रेजी के 20, बीबीए के 175, बीबीए ऑनर्स 123, बीबीए फैमिली बिजनेस 23, बीकॉम ऑनर्स ग्लोबल एकाउंटिंग 19, बीकॉम ऑनर्स 92, बीटेक बायोटेक्नोलॉजी 18, बीटेक सिविल इंजीनियरिंग 32, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 29, इलेक्ट्रॉनिक्स 5, मैकेनिकल इंजीनियरिंग 52, बीटेक एमई एसएम 6, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजी. 40, कम्प्यूटर साइंस के 794, बीटेक सीएस एआईएमएल 140, बीटेक सीएस सीसीवी 24, बीटेक सीएस डीए 24, बीटेक सीएस सीएसएफ 24, बीटेक सीएस आइओटी 12, बीसीए 277, बीफार्म 81, बीएड 30, बीए एलएलबी ऑनर्स 32, बीकॉम एलएलबी ऑनर्स 14, एमएससी एग्रीकल्चर एग्रोनॉमी 4, एमएससी एग्रीकल्चर जीपीबी 1, एमएससी बायोटेक 14, एमएससी माइको एंड इम्यूनोलॉजी 14. एमएससी कैमिस्ट्री 11. एमएससी फिजिक्स 6, एमटेक सीई ट्रांसपोर्टेशन 1, एमटेक सीई स्ट्रक्चरल 3, एमटेक सीएस 5, एमटेक ईई 1, एमटेक ईसी 2, एमटेक एमई प्रोडक्शन 1, एमबीए 539, एमबीए ऑनर्स 38, एमबीए कंस्ट्रक्शन 4. एमबीए एफएमबी 54, एमबीए इंटेग्रेटेड 5, एमबीए एलएससीएम 20, एमसीए 239, एमफार्म फार्माकोलॉजी 13, एमफार्म फार्मास्यूटिक्स 15, एलएलएम सीडीपीएल के 7 विद्यार्थियों की उपाधि अनुमोदित की गई है। इसके अलावा डिप्लोमा कैमिकल के 13. डिप्लोमा सिविल इंजी. के 28, डिप्लोमा सीएस के 76, डिप्लोमा ईई 59, डिप्लोमा ईसी के 13, डिप्लोमा एमई के 97, पीजीडीएम के 24 तथा डिप्लोमा इन फार्मेसी के 54 विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे।
शैक्षिक शोभायात्रा से हुई दीक्षांत समारोह की शुरूआत
दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल ने की। दीक्षांत समारोह की शुरूआत शैक्षिक शोभायात्रा के आगमन के साथ हुई। मुख्य अतिथि, कुलाधिपति, व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल द्वारा दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ की उद्घोषणा की गई। कुलपति फाल्गुनी गुप्ता ने विश्वविद्यालय की प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। राष्ट्रीयगान के बाद शैक्षिक शोभायात्रा का प्रस्थान हुआ।
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