शहादत के बेताब आशिक" पुस्तक का लोकार्पण*

मथुरा। काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष के समारोहों के क्रम में क्रांतिकारियों पर लिखी गयी पुस्तक "शहादत के बेताब आशिक" का लोकार्पण रविवार को किया गया।

Sep 15, 2024 - 20:22
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शहादत के बेताब आशिक" पुस्तक का लोकार्पण*

जीएलए विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के सभागार में आयोजित समारोह में पुस्तक का लोकार्पण भरतपुर निवासी 99 वर्षीय स्वाधीनता संग्राम सैनानी पंडित राम किशन शर्मा, जीएलए विश्वविद्यालय के प्रति उपकुलपति डा. अनूप गुप्ता, पूर्व विधायक हुकम चंद्र तिवारी, साहित्यकार डा. अनीता चौधरी, जीएलए के पुस्तकालयाध्यक्ष राजेश भारद्वाज, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के कोर्डिनेटर व पुस्तक लेखक चंद्र प्रताप सिकरवार एवं अन्य अतिथिगण ने किया।

पुस्तक के संबंध में श्री तिवारी ने बताया कि क्रांतिकारियों पर लिखी गई यह एक नई पुस्तक है, जिसके लेखकद्वय वह स्वयं और पत्रकार चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार हैं। पुस्तक को आईएसबीएन कोड ( स्टैंडर्ड मानक) मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले भी मथुरा के सेनानियों पर हम दोनों पुस्तक लिख चुके हैं। दोनों ने मिलकर स्वाधीनता सेनानी स्व. वीरी सिंह महाशय की प्रतिमा भी हथकौली गांव में स्थापित करायी है।

लेखक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने बताया कि-"शहादत के बेताब आशिक" शीर्षक से पुस्तक लिखने का सुझाव शहीद राम प्रसाद विस्मल की बहन शास्त्री देवी ने दिया था। गरीबी की हालत में वह काफी समय तक श्री तिवारी जी के यहां रही थीं। इस पुस्तक में कई ऐसे क्रांतिकारियों का विवरण है, जिनको इतिहास में ज्यादा स्थान नहीं मिला। 

इस पुस्तक में कुल 28 आलेख हैं। इसमें वर्ष 1915 में पराधीन भारत में प्रथम राष्ट्राध्यक्ष बने राजा महेंद्र प्रताप के मंत्रिमंडल के विदेश मंत्री डॉ चंपक रमन पिल्लई द्वारा जर्मनी जाकर तत्कालीन तानाशाह हिटलर को डांट लगाने की घटना का विवरण है। राजा महेंद्र प्रताप के मंत्रिमंडल के प्रधानमंत्री बरकतुल्लाह के आजादी दिलाने के योगदान का उल्लेख है। आजादी के आंदोलन में सरोजिनी नायडू, सुशीला देवी, वीरांगना भगिनी निवेदिता, 13 वर्षीय मैना, चंद्रशेखर आजाद की मां जगरानी देवी का त्याग, पराक्रमी महिला भीकाजी कामा, बलिदान की त्यागमूर्ति दुर्गा भाभी के योगदान के भी अलग-अलग आलेख हैं। 

अन्य सैनानी पं दंभी लाल पांडेय, एटा के क्रांतिकारी शहीद महावीर सिंह, क्रांतिदूत विजय सिंह पथिक, राष्ट्र के अमर सपूत बाबा पृथ्वी सिंह आजाद, डॉ परमानंद का 37 वर्ष का काल कोठरी में बिताया जीवन आदि उल्लेखनीय आलेख दिए गये हैं। शहीद भगत सिंह द्वारा जेल किए गये लेखन कार्य और उनके द्वारा स्थापित आजादी के सिद्धांत पर भी आलेख हैं।

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