विश्व मधुमेह दिवस : आगरा में 6519 रजिस्टर्ड डायबिटीज मरीज, वैसे संख्या लाखों में, शहरों में आठ फीसद वयस्क आबादी शिकार

आगरा। आगरा में सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर 6519 लोगों को मधुमेह के रोगियों को उपचार दिया जा रहा है। इनमें 3563 पुरुष और 2956 महिलाएं हैं। वहीं निजी क्षेत्र की बात करें तो डायबिटीज रोगियों की यह संख्या लाखों में हो सकती है। आगरा डाय​बिटीज फोरम के अनुसार शहरों में आठ फीसद तक वयस्क आबादी डायबिटीज की शिकार है। वहीं गर्भवती महिलाओं में इसके कई तरह के जोखिम होते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें लक्षणों और उपचार के प्रति सचेत रहने की सलाह दी है।

Nov 14, 2024 - 00:01
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विश्व मधुमेह दिवस : आगरा में 6519 रजिस्टर्ड डायबिटीज मरीज, वैसे संख्या लाखों में, शहरों में आठ फीसद वयस्क आबादी शिकार

गर्भवती महिलाएं पहली तिमाही से ही रहें सचेत

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह नियंत्रित न हो तो यह गर्भवती के साथ-साथ पैदा होने वाला शिशु के लिए भी मुसीबत बन सकती है। इसलिए गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान ही गर्भवती को अपनी प्रसव पूर्व जांच करानी चाहिए। इस दौरान रैंडम ब्लड शुगर (आरबीएस) जांच कराई जाती है। जिन गर्भवती में गर्भावस्था में मधुमेह की पुरानी पृष्ठभूमि रही है उनकी प्रथम त्रैमास में ही मधुमेह की सम्पूर्ण जांच कराई जाती है और अन्य गर्भवती की भी दूसरे त्रैमास में मधुमेह की पूरी जांच कराई जाती है ।

बच्चों को टाइप-दो मधुमेह होने की आशंका 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने सभी गर्भवती महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि सभी गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था की पहली तिमाही से ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराएं। यह जच्चा और पैदा होने वाले बच्चे दोनों के लिए लाभदायक है। उन्होंने बताया कि गर्भावधि मधुमेह में रक्त शर्करा का मान सामान्य से अधिक होता है लेकिन मधुमेह के निदान से कम हो जाता है। गर्भावधि मधुमेह सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही होता है। इससे पीड़ित महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इन महिलाओं और संभवतः उनके बच्चों को भी भविष्य में टाइप-दो मधुमेह की आशंका अधिक होती है। गर्भावधि मधुमेह का निदान लक्षणों के आधार पर नहीं, बल्कि प्रसवपूर्व जांच के माध्यम से किया जाता है, इसलिए प्रत्येक महिला को गर्भावस्था का पता चलते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत जांच करानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों पर न सिर्फ जांच की सुविधा है, बल्कि गर्भावस्था में मधुमेह का पता चलने पर जांच के साथ साथ कुशल इलाज व प्रबंधन से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराया जा रहा है।

गर्भावस्था में मधुमेह के मामले 10 फीसद से कम

एसीएमओ आरसीएच डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के मामले औसतन दस फीसदी से भी कम आते हैं, लेकिन इन मामलों में सतर्कता अधिक जरूरी है। मधुमेह पाए जाने पर गर्भवती को उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की श्रेणी में रखा जाता है और सुरक्षित प्रसव होने तक उनकी नियमित निगरानी की जाती है। उन्हें मधुमेह की दवाएं भी चलाई जाती हैं। अगर गर्भधारण करने के पहले से ही महिला मधुमेह पीड़ित है तो गर्भावस्था के दौरान उसे चिकित्सकीय देखरेख में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। मधुमेह पीड़ित महिला को गर्भधारण में भी परेशानी हो सकती है।

कितनी महिलाएं और कितने पुरूष करा रहे इलाज

गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम नोडल अधिकारी डॉ. पियूष जैन ने बताया कि जनपद में सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर 6519 लोगों को मधुमेह के रोगियों को उपचार दिया जा रहा है। इनमें 3563 पुरुष और 2956 महिलाएं हैं। सभी का उपचार किया जा रहा है। 

गर्भावस्था में मधुमेह से हो सकते हैं ये जोखिम

जीवनी मंडी नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि अगर गर्भावस्था में मधुमेह नियंत्रित नहीं रहता है तो शिशु के लिए अधिक दिक्कत बढ़ सकती है। गर्भावस्था के पहले आठ सप्ताह के दौरान शिशु के अंग, जैसे मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और फेफड़े आदि बनने लगते हैं। इस चरण में उच्च रक्त शर्करा का स्तर हानिकारक हो सकता है। इससे शिशु में जन्म दोष, जैसे कि हृदय दोष या मस्तिष्क अथवा रीढ़ की हड्डी में दोष होने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण इस बात की आशंका भी बढ़ जाती है कि शिशु समय से पहले पैदा हो जाए या उसका वजन बहुत अधिक हो जाए अथवा जन्म के तुरंत बाद उसे सांस लेने में समस्या हो या रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाए। इसकी वजह से गर्भपात या मृत शिशु के जन्म की आशंका भी बढ़ जाती है ।

मधुमेह के कारण शिशु में जटिलताएं

- जन्म के समय अधिक वजन: मधुमेह से पीड़ित माताओं के शिशु का वजन अधिक हो सकता है, जिससे प्रसव के समय समस्याएं आ सकती हैं।

- श्वसन समस्याएं: शिशु में श्वसन समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि श्वसन की गति धीमी होना।

- हृदय समस्याएं: मधुमेह से पीड़ित माताओं के शिशु में हृदय समस्याएं हो सकती हैं।

- मानसिक विकास में देरी: मधुमेह से पीड़ित माताओं के शिशु में मानसिक विकास में देरी हो सकती है।

गर्भावस्था में मधुमेह की जांच और उपचार

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जांच और उपचार बहुत जरूरी है। मधुमेह की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। यदि मधुमेह की पुष्टि होती है, तो डॉक्टर उपचार की सलाह देते हैं, जैसे कि इंसुलिन थेरेपी और आहार परिवर्तन।

गर्भावस्था में मधुमेह की रोकथाम के उपाय

- स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेने से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है।

- नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है।

- वजन नियंत्रण: वजन नियंत्रण करने से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है

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