कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है, गीता हमें यही सिखाती है
मथुरा/वृंदावन। गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन में दो दिवसीय श्रीमद्भगवद् गीता जयंती महोत्सव भक्ति वेदांत रिसर्च सेंटर पुणे के संयुक्त तत्वावधान में मनाया गया।
-गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में दो दिवसीय श्रीमद्भगवद् गीता जयंती में विद्वानों ने समझाया गीता का सार
महोत्सव में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसबीसिंह ने कहा कि जो कर्म है, वही सबसे बड़ा धर्म है। गीता हमें यही सिखाती है। गीता सांसारिक मुक्ति का मार्ग है। यह हर वर्ग के लोगों के लिए लिखी गयी है। गीता से हमें यही संदेश मिलता है कि ज्ञान का सही उपयोग हो और आडम्बरों से हम दूर रहें।
श्रीरंगलक्ष्मी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य अनिलानंद ने गीता के कर्म, भक्ति और ज्ञान के सिद्धान्तों के गूढ़ रहस्य को समझाया। गीता विद्वान गंगाधर पाठक ने गीता के सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला।
हंसराज कॊलेज दिल्ली के प्रो. नित्यगोपाल शर्मा ने गीता के व्यवहारिक व अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला। श्रीमती ज्योत्सना शर्मा के अलावा गिव संस्थान के संत अकाम मुक्ति दास, प्रो. केके शर्मा और मंजू गौड़ प्राचार्य ने भी गीता के भक्ति, कर्म, ज्ञान पर अलग-अलग दृष्टिकोण से विचार व्यक्त किये।
महोत्सव के अंत में ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॊ. उमेश चंद्र शर्मा ने गीता जयंती मनाये जाने के औचित्य पर प्रकाश डाला। निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना द्वारा संस्थान में चलाये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी। समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार द्वारा गीता विद्वानों का पटुका पहनाकर सम्मान किया गया।
इससे पूर्व प्रथम दिन गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ गीता विद्वान ब्रह्मबोधि ने श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने अनेक उदाहरण देते हुए गीता के रहस्य समझाये। प्रमुख वक्ता श्रीवत्स गोस्वामी ने ब्रज भाषा में बोलते हुये गीता पर प्रकाश डाला। आचार्य बद्रीश ने कहा कि गीता के संदेश अपनायें तो सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। पं. रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि गीता में सभी समस्याओं के निदान का भंडार है।
भक्ति वेदांत रिसर्च सेंटर पुणे के भूषण कुमार चैधरी ने संस्था द्वारा पुणे व आसपास में चलाये जा रहे गीता के प्रचार-प्रसार कार्यक्रम से अवगत कराया। विदित हो कि उक्त संस्था का उ.प्र. ब्रज तीर्थ विकास परिषद के साथ एमओयू है। संस्था की पदाधिकारी डॊ.. रेवती कथारे ने अपने द्वारा किये गये गीता पर शोध पर प्रकाश डाला।
प्रथम दिन डॊ. देवेद्र सिंह, विजय मिश्र, रितेश पाण्डेय, विभा गोस्वामी, राजेश शुक्ला, श्रीमती शारदा मिश्रा आदि ने विचार व्यक्त किये। संचालन डॊ.. रामदत्त मिश्र ने किया। गीता व रासलीला प्रशिक्षण ले रहे बच्चों द्वारा गीता की संगीतमय आरती व गीता के श्लोकों पर आधारित संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
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