यह आगरा के लिए शर्म की बात, पानी होने पर भी बाहर से मंगाना पड़ रहा
आगरा। शमसाबाद रोड स्थित सेंट जेवियर स्कूल में बुधवार को हुई जल पंचायत में शहर के तमाम स्कूलों के बच्चों ने आगरा जनपद के जल स्रोतों की पहचान करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयासों को प्रभावी बनाये जाने पर बल दिया। यह पंचायत सिविल सोसाइटी की पहल पर हुई।
इस जल पंचायत के वक्ताओं का मानना था कि अगर जल संचय की योजनाओं का सही प्रकार से क्रियान्वयन होता रहता तो आगरा की जल समस्या इतनी अधिक नहीं गहराती। जल पंचायत के मुख्य वक्ता नमामि गंगा परियोजना की कमेटियों में शामिल रहे जलपुरुष राजेन्द्र सिंह थे।
राजेन्द्र सिंह ने बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि उन्हें खुशी है कि बच्चे जल संकट के प्रति जागरूक हैं और समस्या को उठाने के साथ ही समाधान भी सुझा रहे है और वह यथासंभव इन सुझावों को शासन प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
पंचायत के अहम फैसले
आगरा को पानीदार बनाने के लिए सबसे पहले शहर के पानी को स्वच्छ किया जाये और अच्छे पानी में गन्दा पानी नहीं मिलने दिया जाए। हमको यमुना को साफ रखना होगा। पानी को ट्रीट करके ही यमुना में डालना होगा।
जल उपलब्ध लेकिन संचय नहीं
आगरा के जल स्रोतों को चिन्हित कर जल संचय की प्रभावी योजना बनाई जाए। छात्र एवं युवा वक्ताओं ने कहा कि आगरा के लिए जल प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हर साल मानसून के दौरान आगरा में भरपूर पानी उपलब्ध होता है। लेकिन व्यवस्थित तरीके से इसका संचय करने की व्यवस्थित प्रणाली अब तक नहीं बनायी जा सकी है। अब जबकि जल संकट और अधिक बढ़ गया है, भूगर्भ जल की तेजी के साथ हो रही गिरावट थामी नहीं जा रही है। ऐसे में प्रभावी एवं व्यवहारिक कदमों को तत्काल उठाए जाने की जरूरत है। इसके लिए आगरा के चारों तरफ जल सरंचनाओं को पुनः विकसित किया जाये।
उटंगन और खारी हों जल से भरपूर
जल पंचायत के सहभागी चाहते हैं कि उटंगन और खारी नदियों की बदहाली बंद हो। उप्र सरकार राजस्थान सरकार से वार्ता कर उप्र का भाग सुनिश्चित करवाये। पंचायत इस बात तथ्य को गंभीरता से लेती है कि बारिश सामान्य होने पर राजस्थान अंतरराज्यीय जल बंटवारा नीति की अनदेखी करते हुए इन नदियों का पूरा पानी रोक देता है। वहीं भारी मानसून पर इन नदियों पर बने अपने बांधों को खोल देता है, जिससे जनपद के सीमांत एवं नदी तटीय गांवों में जलमग्नता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
तालाब पुनर्जीवित हों
स्कूली बच्चों का मानना था कि महानगर के पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया जाये। मंडलायुक्त के संज्ञान में लाई जा चुकी शास्त्रीपुरम जलाशय योजना का क्रियान्वयन करवाया जाये। यह जलाशय योजना सिकंदरा रजवाह के उस बीस क्यूसेक पानी की उपलब्धता पर आधारित है, जिसे कि सिंचाई विभाग नाला जखीरा में होकर डिस्चार्ज करता है।
भूजल दोहन नीति से समस्याएं बढ़ीं
बच्चों की राय से सहमत पंचों में से अधिकांश ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उप्र शासन के द्वारा जो भूजल दोहन नीति बनाई हुई है, उसके कारण नागरिकों की परेशानी और बढ़ गई है। नई बोरिंगों को लगाये जाने की अनुमति की संभावनाएं बिल्कुल खत्म सी हो गई हैं। अब आगरा में कारखाने, विपणन परिसरों तक के लिए पंप सेट नहीं लगवाये जा सकते।
वैटलैंड नहीं तालाब बनाएं
बच्चों का मानना था कि आगरा शहर में मानसून के दौरान भरपूर पानी होता है। इसे तालाब बनाकर बचाने की जरूरत है, न कि जलाशयों की क्षमता कम करने वाले वेटलैंड घोषित करते रहने की।
भरतपुर -धौलपुर में हुए हैं गंभीर प्रयास
जल पंचायत में पडोसी जनपद भरतपुर और धौलपुर में हाल में ही विकसित हुई नई जल संरचनाओं पर चर्चा हुई और इन्हें स्थानीय हितों के अनुरूप अत्यंत उपयोगी बताया गया। ‘तरुण भारत' के संस्थापक जलपुरुष राजेन्द्र सिंह द्वारा किये गये प्रयासों को अत्यंत कामयाब बताया गया।
जल पंचायत में राजेन्द्र सिंह से अनुरोध किया गया कि राजस्थान की आगरा की सीमा में प्रवेश करने वाली नदियों का पानी राजस्थान में ही रोका जाना बंद करवाने का प्रयास करें। इससे राजस्थान को कितना फायदा हो रहा है, यह तो हम नहीं कह सकते किंतु इससे आगरा में भूजल स्तर तेजी के साथ गिरता जा रहा है।
इंडिया मार्का हैंडपंप जनपद भर में नाकारा हो चुके हैं। जेट पंप भी बीते समय की बात हो चुका है। अधिकांश विकासखंड और महानगर अति जल दोहित स्थिति में पहुंच जाने के कारण केवल सबमर्सिबल पंपों से ही जल दोहन संभव हो पा रहा है।
इन स्कूलों के छात्र थे शामिल
छात्र जल पंचायत में होली पब्लिक स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल, डॉ रॉय पब्लिक स्कूल, एक पहल स्कूल, भारतीय विद्या मंदिर स्कूल, सेंट मार्क्स स्कूल, सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल के बच्चे शामिल थे।
जल पंचायत के पंच मंडल में कर्नल शिव कुंजरू, ब्रिगेडियर विनोद दत्ता, डॉ. अतुल माथुर, एमएलसी डॉ आकाश अग्रवाल, कशिश -छात्र सेंट ज़ेवियर इंटरनेशनल स्कूल आदि शामिल थे।
मुख्य अतिथि राजेंद्र सिंह के अलावा विशिष्ट अतिथि सुबोध शर्मा अलीगढ, प्रेम शर्मा -अलीगढ और कांति नेगी की भी भागीदारी रही। जेवियर स्कूल की ओर से डायरेक्टर कविता अग्रवाल, जेपी अग्रवाल, सीपी अग्रवाल, चेयरमैन, प्राचार्य मुकुल विधोलिया आदि भी मौजूद थे।
संचालन किया सिविल सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा ने।
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