अमेरिकी चुनाव में भारतीयों की अनदेखी संभव नहीं
न्यूयॉर्क। बेहतर भविष्य की आस लिए अमेरिका आकर बसे भारतीय समुदाय के लोग पांच नवंबर को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में आव्रजन नीति, अर्थव्यवस्था तथा गर्भपात के अधिकार जैसे मुद्दों को अहमियत दे रहे हैं। इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी भारतवंशियों के लिए इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। भारत से जुड़ी अपनी जड़ों का हवाला देकर जहां वह भारतवंशियों का समर्थन जुटाने की पुरजोर कोशिश में लगी हैं।
वहीं दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने दीपावली के शुभकामना संदेश में अमेरिका और बांग्लादेश सहित पूरी दुनिया में हिन्दुओं के हितों को सुरक्षित करने की अपनी प्रतिबद्धता जताने और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी निकटता प्रदर्शित कर चुनाव के आखिरी समय में ऐसा तुरूप का पत्ता फेंका है। इससे भारतवासी ही नहीं बल्कि अमेरिका में रह रहे भारतवंशी भी काफी खुश दिखाई दे रहे हैं।
विभिन्न चुनाव पूर्व सर्वेक्षण दोनों ही उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर की बात कह रहे हैं। एरिजोना के साथ-साथ विस्कॉन्सिन, मिशिगन, नॉर्थ कैरोलाइना, जॉर्जिया, पेन्सिल्वेनिया और नेवाडा वो राज्य हैं, जहां मामला काफी करीबी है। ऐसे में मतदाताओं का थोडा सा इधर-उधर रूझान भी जीती हुई बाजी पलट सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप यहां आप्रवासी भारतीयों को रिझाने के लिए बड़े-बड़े चुनावी वायदे कर रहे हैं। ऊंची सामाजिक-आर्थिक स्थिति ने देश की राजनीति में आप्रवासी भारतीयों के कद को बढ़ाया है। ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल इनकी अनदेखी करने की स्थिति में नहीं है।
पुराना ट्रैक रिकार्ड देखें तो भारतीय समुदाय का रूझान हमेशा से ही डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रवासियों को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी का रूख बहुत सकारात्मक ना सही लेकिन बहुत नकारात्मक कभी नहीं रहा है। दूसरी ओर रिपब्लिकन पार्टी एक रूढ़ीवादी पार्टी मानी जाती है और आव्रजन नियमों को लेकर इसकी नीतियां हमेशा से ही बहुत सख्त रही हैं। यह पार्टी व्हाइट सुप्रिमेसी पर विश्वास रखने वाली पार्टी है। इसमें उग्र राष्ट्रवाद का पुट भी दिखाई देता है।
भारत वंशियों का अमेरिका में टिकना पूरी तरह से आव्रजन नियमों पर ही निर्भर करता है। अमेरिका के जनगणना ब्यूरो के अनुसार देश की कुल 37 करोड़ 33 लाख की आबादी में भारत वंशियों की संख्या 52 लाख यानी कि डेढ़ फीसदी से भी कम है। इनमें से भी केवल 46 से 50 फीसदी ही मतदाता हैं, यानी कि कुल 25 लाख मतदाता हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनका एक बड़ा हिस्सा अभी भी एच-वन वीजा, स्टूडेंट वीजा या ग्रीन कार्ड की बदौलत अमेरिका में रह रहा है।
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