भारत संसार की डाइबटीज केपिटल बनने की राह पर 2045 तक 125 मिलियन भारतीय होंगे मधुमेह के रोगी
डाइबटीज आज केवल एक रोग नहीं रहा बल्कि भारत में यह महामारी में बदल गया है। लाखों भारतीय इसकी जद में हैं। 2023 में भारत में 77 मिलियन मधुमेह के रोगी थे, 2045 तक यह संख्या 125 मिलियन तक होने का अनुमान है।
नई दिल्ली। डाइबटीज आज केवल एक रोग नहीं रहा बल्कि भारत में यह महामारी में बदल गया है। लाखों भारतीय इसकी जद में हैं। 2023 में भारत में 77 मिलियन मधुमेह के रोगी थे, 2045 तक यह संख्या 125 मिलियन तक होने का अनुमान है।
चिकित्सकों का मत है कि भारत जल्द ही संसार में डाइबटीज की राजधानी में बदल जाएगा। हमारे देश में हालात इतने खराब हैं कि संसार के छह मधुमेह के रोगियों में एक भारत का है।
हमारे देश में 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो जांच नहीं कराते तथा किसी गंभीर रोग का शिकार होने पर जांच कराने पर उन्हें डाइबटीज का पता चलता है। भारत में 73 प्रतिशत डाइबटीज के रोगी हाई ब्लड प्रेशर के भी शिकार हैं जिससे ऐसे लोगों को हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
चिकित्सकों का कहना है कि डाइबटीज केवल सामान्य जीवन को प्रभावित नहीं करती वरन हार्ट, किडनी, आंख, त्वचा और नर्वस सिस्टम के अंगों को भी प्रभावित करती है।
चिकित्सकों का कहना है कि भारत में डाइबटीज के महामारी बनने के कई कारण है। जिसमें से एक जेनेटिक और फैमिली हिस्ट्री है। बहुत से भारतीयों में जेनेटिकली इंसुलिन रजिस्टेंस है। दूसरा कारण शहरीकरण और डेस्क पर बैठ कर काम करने वाले जाब का बढ़ना है। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है।
एक अन्य कारण भारतीयों की ईटिंग हैबिट है। भारतीय डाइट में चावल , मैदा तथा मिठाई शामिल है। यहां के खाने में कार्बोडाइड्रेट्स और शुगर की प्रचुर मात्रा होती है, इससे इंसुलिन का असंतुलन हो जाता है। एक अन्य कारण भारतीय लोगों में पेट पर आने वाला मोटापा है, इससे टाइप टू डाइबटीज का खतरा बढ़ जाता है।
यहां के लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं हैं, डाइबटीज की फैमिली हिस्ट्री होने के बाद भी अधिकतर लोग समय-समय पर अपनी जांच नहीं कराते। यही नहीं लगातार रहने वाली स्ट्रेस, कम नींद तथा खराब मानसिक स्वास्थ्य भी डाइबटीज को बढ़ावा दे रहा है।
चिकित्सकों का कहना है कि डाइबटीज केवल एक व्यक्ति को प्रभावित नहीं करती, वरन परिवार, समाज तथा राष्ट्र के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करती है। भारत के लोग यदि समय-समय पर जांच कराएं। नियमित वाक, योगा आदि करें। खाने की आदतों को बदलें, साल में एक बार अन्य अंगों की जांच कराएं, स्ट्रैस से बचने के लिए ध्यान, योग करें साथ ही मीठा खाने पर नियंत्रण रखें तो इससे लड़ा जा सकता है।
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