'कैंसर षड्यंत्र' वाले आरोप को डॉक्टरों ने कहा फर्जी, बोले पुलिस ऐसा कैसे कर सकती है ?
आगरा। बीते दिनों एक किसान ने आगरा के पांच डॉक्टरों पर कैंसर का षड्यंत्र रचकर 8-10 लाख रुपए ऐंठने की कोशिश का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने चार सौ बीसी का मुकदमा भी दर्ज किया था। अब इस मामले में दूसरा पक्ष सामने आया है। डॉक्टरों ने किसान के आरोपों को फर्जी बताते हुए पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। कल एक बड़ी बैठक भी होने जा रही है।
गौरतलब है कि किरावली के गांव कुकथला निवासी राजकुमार ने एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ टीपी सिंह के साथ ही डॉ मुकेश शर्मा, डॉ संदीप अग्रवाल, डॉ अनिल अग्रवाल, डॉ अर्पित अग्रवाल पर फर्जी रिपोर्ट के आधार पर कैंसर का डर दिखाकर पैसे ऐंठने की कोशिश का आरोप लगाया था।
डॉक्टरों की करनी से एक साल तक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना सहने की बात भी कही गई थी।
राजकुमार का आरोप था कि 17 जनवरी 2023 को एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ टीपी सिंह को दिखाया था कि उनकी खांसी नहीं जा रही।
डॉक्टर के कहने पर ही डॉ मुकेश शर्मा के यहां फेफड़ों की बायोप्सी कराई। जांच के लिए स्लाइड अग्रवाल क्रिटिकल केयर सेंटर शांति मधुवन प्लाजा भेजी गई।
क्लीनिकल पैथोलॉजी में जांच हुई। फेफड़ों का कैंसर बताया। दो चार दिन ही बचे हैं यह कहा गया। इससे परिवार घबरा गया। इसके बाद सिकंदरा पुरुषोत्तम दास सावित्री देवी कैंसर केयर एंड रिसर्च सेंटर पर पैट स्कैन कराया। डॉ मुकेश शर्मा ने ऑपरेशन की सलाह दी। सात से आठ लाख का खर्च बताया। उनके पास इतने रुपए नहीं थे तो डॉक्टर के माध्यम से खुद को एम्स रेफर करा लिया। वहां भर्ती नहीं हो सके।
इसके बाद टाटा मैमोरियल मुंबई और मेदांता हॉस्पिटल में दिखाने पर भी जांच कराई गईं लेकिन दोनों ही जगह रिपोर्ट नेगेटिव थी। मरीज का कहना है कि इस मामले में सीएमओ से शिकायत की और महीनों बाद भी केवल दो चिकित्सक डॉ अर्पित वी डॉ अनिल के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया गया है जबकि तीन अन्य चिकित्सक भी षड्यंत्र में शामिल हैं।
अब इस मामले में चिकित्सकों का पक्ष सामने आया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आगरा ने डा अनिल अग्रवाल एवं डा अर्पित अग्रवाल पर दर्ज मुकदमे का विरोध किया है। अध्यक्ष डा अनूप दीक्षित ने कहा कि किसी भी चिकित्सक के खिलाफ कुछ भी अनुचित नहीं होने दिया जाएगा।
अछनेरा के किसान राजकुमार के केस के संबंध में पुलिस कैसे 420 का मुकदमा दर्ज कर सकती है। सही या गलत का फैसला कोर्ट के माध्यम से या उपभोक्ता फोरम के माध्यम से आगे बढ़ता। अगर इस तरह होने लगा तो चिकित्सकों के लिए कार्य करना मुश्किल होगा एवं आईएमए के चिकित्सक कार्य विरक्ति का निर्णय लेने को बाध्य होंगे।
सीएमओ की रिपोर्ट में भी ये कहा गया है कि लैब की रिपोर्ट में कैंसर की संभावना दी गई है पुष्टि नहीं की गई। डॉ अर्पित ने बताया कि रिपोर्ट की कई बार अपनी लिमिटेशन होती हैं और जो रिपोर्ट टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की आई है उसमें मेटाप्लेसिया दिया हुआ है। डा अनिल अग्रवाल ने कहा की जब मरीज ने आगरा में कही इलाज कराया ही नहीं तो उसका ये दावा करना की सात से आठ लाख उसके खर्च हुए ये गलत है और मरीज की बदनीयती दिखाता है।
जब पिछले वर्ष ही मरीज को पता ये लग गया कि उसको कैंसर नहीं है तो उसका ये कहना कि पिछले एक साल से वो मानसिक रूप से परेशान है, ये भी गलत है।
पूर्व अध्यक्ष डा संदीप अग्रवाल ने कहा कि मरीज को एम्स के लिए रेफर किया था, आगे की जांच के लिए। उसका यहां कोई इलाज नहीं किया गया। अध्यक्ष निर्वाचित डा पंकज नगायच ने बताया कि सोमवार को एक बैठक आईएमए भवन पर आयोजित की जाएगी उसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में पूर्व अध्यक्ष डा ओपी यादव, डा योगेश सिंघल, डा अरुण जैन आदि चिकित्सक मौजूद थे।
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