ट्रम्प की जीत से भारत के साथ सहयोग और मजबूत होगा
वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति कौन होगा, इसका एलान आज शाम तक हो जाने की उम्मीद है। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में से कौन नया प्रेसीडेंट होगा, इस पर दुनिया के साथ-साथ भारत की भी नजर है क्योंकि प्रचार के दौरान दोनों कई ऐसे मुद्दों पर आमने-सामने दिखे हैं, जिनसे भारत प्रभावित हो सकता है। ऐसे में साफ है कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति के आने का भारत पर भी असर होना लाजिमी है।
द प्रिंट की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों की बात की गई है, जहां भारत के लिए अमेरिकी नीति मायने रखती है। ये नीतिया स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हैं। क्षेत्रीय की बात की जाए तो भारत के पड़ोस में चीन की आक्रामकता चिंता का सबब रही है। अमेरिका के पिछले तीन राष्ट्रपतियों- ओबामा, ट्रंप और बाइडन का रुख चीन के मामले में भारत से सहयोग का रहा है। वहीं ट्रंप सरकार में लौटते हैं तो भारत के लिए अमेरिकी सहयोग और मजबूत हो सकता है।
अमेरिका के चुनाव में इमिग्रेशन एक अहम मुद्दा रहा है। खासतौर से एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर ट्रंप के प्रतिबंधात्मक रुख ने ऐतिहासिक रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित किया है। उनके राष्ट्रपति रहते हुए विदेशी कामगारों पर प्रतिबंध लगाए। इसने भारतीय आईटी पेशेवरों और फर्मों के लिए चुनौतियां पैदा कीं। ये उपाय दोबारा लागू किए जाते हैं, तो अमेरिका में भारतीय सीधे प्रभावित होंगे।
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों पर भी असर पड़ने की संभावना है। ट्रंप ने कहा था कि विदेशी उत्पादों पर सबसे अधिक टैरिफ लगाते हैं। उन्होंने सत्ता में आने पर पारस्परिक कर लगाने की कसम खाई थी। ऐसे में भारत से संबंध प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने प्रचार के दौरान पीएम मोदी को अपना दोस्त कहा था।
डोनाल्ड ट्रंप आते हैं तो वह भारत के दो अहम पड़ोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान पर अमेरिका का रुख बदल सकते हैं। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि वह बांग्लादेश की यूनुस सरकार को डेमोक्रेटिक समर्थक के रूप में देखते हैं। वहीं ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत को पाकिस्तान के मामले में कुछ चिंताएं हो सकती हैं। बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को बहुत कम प्राथमिकता दी। वहीं ट्रंप की इमरान खान से नजदीकी दिखी थी। वह पाक के लिए नरमी दिखा सकते हैं।
ट्रंप की जीत का पश्चिम एशिया में बड़ा बदलाव दिख सकता है। ट्रंप पहले दिन से ही ईरान को दुश्मन मानेंगे और नेतन्याहू को लड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, इससे युद्ध में तेजी आने का भी अंदेशा है। वहीं हैरिस के लिए यूरोप का बड़ा हिस्सा दुआ कर रहा है। उनको लगता है कि ट्रंप की जीत यूक्रेन के खिलाफ रूस को मदद करेगी। वहीं अगर हैरिस कमान संभालती हैं तो पश्चिम यूक्रेन के लिए अपना समर्थन बहुत बढ़ा सकता है।
अर्थव्यवस्था के मामले में हैरिस के मुकाबले ट्रंप ज्यादा अलगाववादी और संरक्षणवादी रवैया अपनाएंगे। यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता होगी क्योंकि अमेरिका अक्सर उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वहीं तकनीक, हथियार, रक्षा हार्डवेयर और खुफिया सहयोग तक भारत की पहुंच में अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने से ज्यादा बदलाव नहीं होगा।
अमेरिका के रुख में भारत के लिए कोई बड़ा बदलाव आने की उम्मीद इसलिए नहीं है क्योंकि वहां का कोई भी नेता भारत के पक्ष में या उसके खिलाफ नहीं है। वे सभी अमेरिका के पक्ष में होंगे। वे देखेंगे कि भारत उनके हितों में कहां फिट बैठता है और उसी लिहाज से अपनी नीति बनाएंगे। ऐसे में अमेरिका की मौजूदा नीति ही थोड़े बदलाव के साथ जारी रहेगी।
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