सात्विक होगी माता तो पुत्र अवश्य होगा राम और कृष्ण साः अतुल कृष्ण
आगरा। जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुख मूल।।…जैसे ही ये चौपाई गूंजी और प्रकाट्य हुआ जगत के पालनहार श्रीराम का, तो जय जयकार से वातावरण पवित्र हो उठा।
लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के तृतीय दिवस पर श्रीराम जन्म प्रसंग का बखान कथा व्यास अतुल कृष्ण महाराज ने किया।
कथा आरंभ से पूर्व मुख्य यजमान बृजेश सुतैल− सुमन सुतैल एवं दैनिक यजमान राधा एवं महेश पचौरी ने श्रीराम चरित मानस और व्यास पूजन किया।
कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने राम जन्म प्रसंग पर कहा कि त्रेतायुग में जग असुरों की शक्ति बढ़ने लगी तो संत कृपा से भगवान राम ने राजा दशरथ की रानी माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म लिया। जिससे समस्त अयोध्यावासी आनंदित हो उठे। इस आनंद की वर्तमान में भजनों द्वारा कथा व्यास ने जब वर्षा की तो उपस्थित श्रद्धालु भी झूम उठे।
व्यास जी ने कहा निरगुण से सगुण भगवान सदैव भक्त के प्रेम के वशीभूत रहते हैं। भक्तों के भाव पर सगुण रूप लेते हैं। जब-जब होये धर्म की हानि, बढ़र्हि असुर अधर्म अभिमानी,
तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा। धर्म व सम्प्रदाय में अन्तर को समझाते हुए उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्ति के अन्दर एकजुटता का भाव पैदा करता है, वहीं सम्प्रदाय व्यक्ति को बाहरी रूप से एक बनाता है।
मानव को एकजुटता की व्याख्या करते हुए व्यास जी ने कहा कि एक पुस्तक, एक पूजा स्थल, एक पैगम्बर, एक पूजा पद्धति ही, व्यक्ति को सीमित व संकुचित बनाती है जबकि ईश्वर के विभिन्न रूपों को विभिन्न माध्यमों से स्मरण करना मात्र सनातन धर्म ही सिखाता है। ईश्वर व पैगम्बर में अन्तर को बताते हुए कहा कि ईश्वर के अवतार से असुरों का नाश होता है। अधर्म पर धर्म की विजय होती है। यह अद्भुत कार्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण ने अयोध्या व मथुरा की धरती पर अवतार लेकर दिखाया।
व्यास जी ने देश की युवा पीढी पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता के भंवर में फंसा हुआ है। उसे राम कृष्ण सीता के साथ भारतीय सभ्यता से मतलब नहीं है। उन्होंने माताओं से आग्रह कि यदि माताएं चाहें तो युवा पाश्चात्य सभ्यता से अलग हो सकता है। सभी माताओं से आग्रह किया कि गर्भवती माताओं के चिन्तन मनन खान-पान, पठन-पाठन, रहन सहन का बच्चे पर अत्यन्त प्रभाव पडता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान माताओं को भगवान का सुमिरन करना चाहिए।
रामायण जी की आरती एवं प्रसादी के साथ तृतीय दिवस कथा प्रसंग का समापन हुआ। मंदिर सेवायत सुनीत गोस्वामी और मंदिर प्रशासक दिनेश पचौरी ने बताया कि कथा आयोजन के चतुर्थ दिवस बुधवार को श्रीराम विवाह प्रसंग होगा।
इस अवसर पर अखिलेश अग्रवाल, राजेश खंडेलवाल, पीयूष अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, संजीव जैन, शरद मित्तल, निर्मल धाकड़, राम प्रसाद धाकड़, मनीष गोयल, नवीन प्रजापति, श्याम सुंदर शर्मा, स्वास्तिक हैंड राइटिंग ट्रस्ट से पल्लवी अग्रवाल, गीता सैनी, रागिनी, ज्योतिशा आदि उपस्थित रहे।
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