aurguru news : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन पापों से छुटकारा भी मिलता है, ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविन्द मिश्र से जानें व्रती को इस दिन क्या करना चाहिए, क्या है शुभ मुहूर्त

आगरा। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्मभूमि पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे देश में व्रत रखकर नर नारी तथा बच्चे रात्रि 12:00 बजे मंदिर में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्म भूमि के अलावा द्वारकाधीश बिहारी जी एवं मंदिरों में इसका भव्य आयोजन होता है।

Aug 25, 2024 - 20:57
 0  108
aurguru news : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन पापों से छुटकारा भी मिलता है, ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविन्द मिश्र से जानें व्रती को इस दिन क्या करना चाहिए, क्या है शुभ मुहूर्त
aurguru news : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन पापों से छुटकारा भी मिलता है, ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविन्द मिश्र से जानें व्रती को इस दिन क्या करना चाहिए, क्या है शुभ मुहूर्त

भगवान श्री कृष्ण विष्णु जी के आठवें अवतार माने जाते हैं यह विष्णु जी का 16 कलाओं से पूर्ण भव्यतम अवतार है। श्री राम तो राजा दशरथ के यहां एक राजकुमार के रूप में अवतरित हुए थे, जबकि श्री कृष्ण का प्राकट्य आतातायी कंस के कारागार में हुआ था। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व वासुदेव जी के पुत्र रूप में हुआ था। कंस ने अपनी मृत्यु के भाई से श्री वासुदेव जी के पुत्र के पुत्र रूप में हुआ था कंस ने अपनी मृत्यु के भय से भगवान से बहन देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद किया हुआ था। भगवान श्री कृष्ण ही थे जिन्होंने अर्जुन को कायरता से वीरता, विषाद से प्रसाद की ओर जाने का दिव्य संदेश श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम दिया। भगवान श्री कृष्ण थे जिन्होंने मित्र धर्म के निर्वाह के लिए गरीब सुदामा के पोटली के कच्चे चावलों को खाया और बदले में उन्हें राज्य दिया। उन्हीं परमदयालु प्रभु के जन्म उत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। व्रत के दिन प्रातः व्रती को सूर्य, सोम, (चंद्र) यम, काल, दोनों संध्याओं ( प्रातः एवं सायं) पांच भूतों दिन क्षपा (रात्रि ) पवन,  दिक्पलों ,भूमि आकाश, खचरों (वायु दिशाओं के निवासियों) एवं देवों  आवाहन करना चाहिए। जिससे वह उपस्थित हो उसे अपने हाथ में जल पूर्ण ताम्र पात्र रखना चाहिए। जिसमें कुछ फल,पुष्प,अक्षत हो और तिथि, पक्ष, मास दिन आदि का नाम लेना चाहिए। संकल्प करना चाहिए कि मैं कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कुछ विशिष्ट फौलाद तथा अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए करूंगा। व्रती को रात्रि भर भगवान श्री कृष्ण जी की विभिन्न प्रकार से स्तुति, स्रोतों पौराणिक कथाओं, गानों एवं नृत्य के माध्यम से संलग्न रह कर करनी चाहिए। दूसरे दिन प्रात काल नित्य कर्म के संपादन के उपरांत कृष्ण प्रतिमा का पूजन करना चाहिए ब्राह्मणों को भोजन देना चाहिए सोना, वस्त्र, गौ दान करना चाहिए। मुझ पर श्री कृष्ण प्रसन्न हो शब्दों के साथ करना चाहिए। व्रत के अंत में पारण होता है जो व्रत के दूसरे दिन किया जाता है। जन्माष्टमी एवं जन्म दिवस के उपलक्ष्य में किए गए उपवास के उपरांत पारण के विषय में कुछ विशिष्ट नियम है। ब्रह्मवैवर्त पुराण काल निर्णय में आया है कि जब तक अष्टमी चलती रहे या उसे पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक का पारण नहीं करना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता अर्थात जो ऐसी स्थिति में पालन कर लेता है वह अपने किए कराए पर ही पानी फेर लेता है और उपवास से प्राप्त फल को नष्ट कर लेता है अतः तिथि तथा नक्षत्र के अंत में ही पारण करना चाहिए।

जानें शुभ मुहूर्त
इस वर्ष जन्माष्टमी का त्यौहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण भगवान शिव के दिन सोमवार को जन्म लेंगे इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 3:54 से 27 तारीख प्रातः 6:00 बजे तक रहेगा।  अष्टमी तिथि प्रातः 3 बजकर 19 से शुरु होगी जो रात्रि एक 2:19 तक अर्थात 27 तारीख की 2:00 बजे 2:19 तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र दोपहर में 3:54 से शुरू हो जाएगा जो अगले दिन दोपहर 3:37 तक रहेगा। विगत कई वर्षों बाद के ऐसा शुभ योग इस वर्ष बन रहा है कि  जन्माष्टमी एक ही दिन रोहिणी नक्षत्र वृष राशि अष्टमी तिथि और सोमवार को मनेगी। जिससे यह जन्माष्टमी महत्वपूर्ण हो गई है। इस दिन भगवान कृष्ण की आराधना करने से भक्तों को भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होगी और भगवान शिव की आराधना करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होगी रात्रि में चंद्रोदय 11:24 पर होगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

SP_Singh AURGURU Editor