कोटे से मिलने वाली एल्प्राजोलाम आखिर कैसे मिली विजय गोयल को
नकली दवा की फैक्ट्री में नारकोटिक्स की श्रेणी में आने वाली दवा एल्प्राजोलाम की टैबलेट का निर्माण करने को लेकर दवा कारोबारी अचंभित हैं। एल्प्राजोलाम ड्रग का कोटा दवा निर्माताओँ को आवंटितकिया जाता है।जो आसानी से नहीं मिलता।
आगरा। नकली दवा की फैक्टरी के पकड़े जाने से दवा बाजार में खलबली है। इस तरह की दवाओं का काम करने वाले लोग भूमिगत हो गए हैं। वहीं एंटी नारकोटिक्स विभाग की टीम विजय गोयल से मिली जानकारी के आधार पर अन्य शहरों में धरपकड़ के लिए रवाना हो गई है।
फैक्टरी पकड़े जाने के बाद जो तथ्य प्रकाश में आए हैं, उसके अनुसार वहां बड़ी मात्रा में पेरासीटामोल तथा एल्प्राजोलाम नामक ड्रग की बरामदगी बतायी गई है। हालांकि यहां मिले ड्रग्स की अभी जांच नहीं हो सकी है।
बता दें कि एल्प्राजोलाम नामक ड्रग नारकोटिक्स की श्रेणी में आता है। इसकी दवा बनाने के लिए ड्रग्स के कोटे के लिए लाइसे्ंस लेना होता है। यह कोटा पूरे देश में केवल ग्वालियर से दिया जाता है। इस ड्रग की बिक्री खुले बाजार में नहीं होती। जो कंपनियां इस श्रेणी के ड्रग्स की दवाएं बनाती हैं, उनको कोटे के अनुसार ड्रग की आपूर्ति सरकारी स्तर पर होती है।
नारकोटिक्स की श्रेणी में आने वाले ड्रग्स के एक-एक ग्राम का हिसाब दवा निर्माताओं को देना होता है। इस ड्रग को इस दवा माफिया ने कहां से हासिल किया, इसकी जांच गंभीरता से किए जाने की आवश्यकता है। प्रतिबंधित श्रेणी में आने वाले इस ड्रग का मिलना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान उठा रहा है।
वहीं नशे की दवा का कारोबार करने वाले लोग इस कार्रवाई से सहम गए हैं। इनमें से कुछ लोगों की कोई दुकान नहीं है, उनके पास केवल फुव्वारे की गलियों में गोदाम हैं। बाजार से येन-केन प्रकारेण वे नारको की श्रेणी में आने वाले ड्रग्स को हासिल कर पंजाब व बिहार भेजते हैं। जहां से उन्हे मोटा मुनाफा प्राप्त होता है।
What's Your Reaction?