ताज महोत्सव को किसी की नजर लगी है या लगा दी गई है?

आगरा। ताज महोत्सव के पहले दो दिन बेहद फीके गये हैं। ताज महोत्सव को आज तीसरा दिन है और यह अपने शहर में ही ठीक से चर्चाओं में भी नहीं आ पाया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके आगरा के ताज महोत्सव को नजर लगी नहीं है बल्कि लगाई गई है। ताज महोत्सव के पहले दो दिन के कार्यक्रम जिस तरह फ्लॊप शो साबित हुए हैं, उससे पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ ही उन गैर सरकारी लोगों पर सवाल उठ रहे हैं जिन्होंने इस आयोजन से दशकों से जुड़े लोगों को बाहर कर खुद को जमा लिया है।

Feb 20, 2025 - 14:31
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ताज महोत्सव को किसी की नजर लगी है या लगा दी गई है?
ताज महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार की रात शिल्पग्राम के मुख्य मंच के सामने ये सोफे तब खाली पड़े हुए थे जब मुख्य मंच से कलाकारों की प्रस्तुतियां चल रही थीं।

-दुनिया भर में पहचान बना चुके महोत्सव में इस बार कलाकारों को उनके कद्रदान ही नहीं मिल रहे

-ताज महोत्सव शुरू होने के बाद से पहली बार पैदा हुई है यह स्थिति, नये जुड़े लोग जिम्मेदारी नहीं निभा रहे

ताज महोत्सव शुरू होने से हफ्ते-दस दिन पहले जिस तरह का माहौल बन जाया करता था, वैसा इस बार कुछ नहीं हुआ। मंगलवार शाम मको ताज महोत्सव का उद्घाटन तो रंगारंग तरीके से हुआ, लेकिन इसे लेकर अभी पहले जैसा उत्साह नहीं दिख सका। इससे पहले के सालों में ताज महोत्सव आयोजन समिति से जुड़े अधिकारी ही नहीं, गैर सरकारी लोग भी कई सप्ताह पहले से ही ताज महोत्सव को इतना अधिक चर्चाओं में ले आते थे कि शहरवासियों में इसे लेकर उत्साह पैदा हो जाता था। इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखा।

ऐसा इसलिए हुआ है कि ताज महोत्सव में इस बार बहुत कुछ बदलाव हुआ है। 1992 में ताज महोत्सव की शुरुआत के समय से पिछले सालों तक जो लोग इसे ख्याति दिलाने में दिन-रात एक किए रहे, वे सभी साइड लाइन किए जा चुके हैं। आइडियोलॊजी के आधार पर पिछले साल से ताज महोत्सव में नये लोगों की एंट्री हुई है।

नये लोग आयोजन की मुख्य भूमिका में तो आ गए हैं, लेकिन ताज महोत्सव को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे। ताज महोत्सव के आयोजन से पिछले कुछ सालों में जुड़े एक गैर सरकारी व्यक्ति का तो पिछले साल एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि इस व्यक्ति ने एक कलाकार की ताज महोत्सव में प्रस्तुति कराने के लिए 60 हजार रुपये वसूल किए थे।

ताज महोत्सव हस्तशिल्प और कला के लिए शिल्पकारों और कलाकारों को अवसर प्रदान कराने का एक मंच है। शुरुआत के बाद से ये काम बखूबी हो रहा था। यही वजह रही कि ताज महोत्सव की ख्याति देश से बाहर विदेशों तक पहुंच गई। अब जबकि ये स्थापित हो गया है, तब इसके कर्ता-धर्ता कुछ ऐसे नये चेहरे हो गए हैं जो महोत्सव को और अधिक ऊंचाई पर ले जाने के बजाय नीचे की ओर ला रहे हैं। यही लोग तय करते हैं कि ताज महोत्सव में किस कलाकार का कार्यक्रम होगा।

किसी भी सार्वजनिक मंच से अपनी परफॊरमेंस देने वाला कलाकार तब खुद को सम्मानित महसूस करता है, जब उसके सामने कला के कद्रदान बैठे होते हैं। कद्रदानों की तालियां ही कलाकार का उत्साह बढ़ाती हैं। यहां ताज महोत्सव में तो ऐसा कुछ हो रहा है कि कलाकार खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। पहले दिन ताज महोत्सव के अंतर्गत सूरसदन में एक भी दर्शक न होने से कई कलाकारों की तो प्रस्तुति ही नहीं हो सकी। एक कथक नृत्य को देखने वाले मात्र पांच दर्शक थे।

सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी तक के कार्यक्रम में शिल्पग्राम में दर्शकों का टोटा दिखा। मंच के सामने के सोफे तक खाली पड़े थे। अन्य कलाकारों की परफॊरमेंस के दौरान ही ऐसा ही कुछ देखने को मिला।

 

SP_Singh AURGURU Editor