हरियाणा चुनाव: दलित सीएम की मांग कांग्रेस के लिए नई चुनौती, जेजेपी-एएसपी ने मिलाए हाथ

हरियाणा के विधान सभा चुनाव में रोचक मुकाबले के समीकरण बन रहे हैं। कांग्रेस में जहां शह और मात का खेल चल रहा है, वहीं भाजपा सत्ता बचाने की कोशिशों में लगी हुई है। दूसरे दल भी गोटे फिट करने में लगे हुए हैं।

Aug 29, 2024 - 12:41
Aug 29, 2024 - 13:16
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हरियाणा चुनाव: दलित सीएम की मांग कांग्रेस के लिए नई चुनौती, जेजेपी-एएसपी ने मिलाए हाथ

-एसपी सिंह-
चंडीगढ़। हरियाणा में चुनाव की तारीख ज्यों -ज्यों नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे मुकाबले के समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। इस बीच कांग्रेस की कद्दावर दलित नेता एवं सांसद कुमारी शैलजा के समर्थकों ने दलित मुख्यमंत्री की मांग कर कांग्रेस हाईकमान के सामने दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है। शैलजा के प्रबल प्रतिद्वंद्वी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस नई चुनौती से निपटने को भी तैयार हैं। 

जेजेपी-एएसपी ने मिलाए हाथ
इस बीच ताजा खबर ये है कि पिछली बार दस सीटें जीतने वाली जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) ने यूपी में दलित चेहरे के रूप में उभर रहे सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया है। इस नए गठबंधन में हरियाणा की 90 सीटों में जेजेपी 68 और एएसपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 

जेजेपी ने यह नया गठजोड़ इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) और बसपा के गठबंधन की चुनौती से निपटने के लिए बनाया है। इनेलो और बसपा बहुत पहले ही गठबंधन कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इनेलो के इस दांव से जेजेपी में बेचैन थी। इसकी काट जेजेपी ने भी ढूंढ ली है। इस प्रकार इन दोनों गठबंधनों के बीच जाट मतों में इनेलो और जेजेपी तथा दलित मतों के बीच बीएसपी-एएसपी के बीच जोर आजमाइश होगी। 

मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में तय

हरियाणा के विधान सभा चुनाव में भले ही नए-नए गठबंधन बन रहे हों, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होना है। भाजपा यहां की सत्ता पर दस साल से काबिज है और कांग्रेस इस बार हर हालत में सत्ता हासिल करना चाहती है। भाजपा की कोशिश है कि वह अपनी सरकार बचा ले। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के भरोसे आश्वस्त है जबकि भाजपा को अभी भी गैर जाट सामाजिक समीकरणों से उम्मीद बंधी हुई है। 

हुड्डा-शैलजा की जंग कांग्रेस का सिरदर्द

सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त कांग्रेस में गुटबाजी पार्टी हाईकमान के लिए सिरदर्द बनी हुई है। कांग्रेस मानकर चल रही है कि इस बार उसे बहुमत मिलना तय है, इसलिए विभिन्न गुटों में बंटे हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेता सीएम की कुर्सी को ध्यान में रखकर चालें चल रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपने लोगों को टिकटें दिलवाना चाहते हैं ताकि बहुमत मिलने के बाद कुर्सी को लेकर कोई दुविधा न रहे। यही कोशिश कुमारी शैलजा की तरफ से भी हो रही है। 

शैलजा गुट में वीरेंद्र-सुरजेवाला भी

भूपेंद्र हुड्डा का गुट अभी तक भारी पड़ रहा है, लेकिन ताजा घटनाक्रम में कुमारी शैलजा के गुट में दिग्गज जाट नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह और कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी खड़े दिखने लगे हैं। यह गुट भी कांग्रेस हाईकमान के स्तर से अपने अधिकाधिक समर्थकों को पार्टी का उम्मीदवार बनवाने की कोशिशों में लगा हुआ है। देखना यह है कि उम्मीदवारों के चयन में कौन गुट किस पर भारी पड़ता है। 

दलित सीएम की मांग के होर्डिंग लगे

भूपेंद्र हुड्डा गुट को भारी पड़ते देख कुमारी शैलजा के समर्थकों ने कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष दलित मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठानी शुरू कर दी है। हरियाणा भर में शैलजा के समर्थकों ने होर्डिंग लगवा दिए हैं कि इस बार हरियाणा का मुख्यमंत्री दलित होना चाहिए। शैलजा समर्थकों का यह दांव निश्चित रूप से कांग्रेस नेतृत्व के लिए मुसीबतें पैदा करेगा। कांग्रेस अगर हामी भरती है तो जाट नाराज हो जाएंगे और हामी नहीं भरी तो दलित वोट खिसकने का डर है। 

शैलजा के दांव की काट है हुड्डा के पास

कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनके समर्थकों द्वारा चलाई जा रही मुहिम का भूपेंद्र हुड़्डा को शायद पहले से अंदाजा था। इसी वजह से उन्होंने अपने बेहद विश्वासपात्र दलित नेता उदयभान को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनवा दिया था। हुड्डा उदयभान के जरिए ही कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा दिलाएंगे कि दलित वोट कहीं नहीं जाएंगे। लेकिन सवाल यह है कि जो दलित मुख्यमंत्री की कुर्सी चाह रहे हैं, वे प्रदेश अध्यक्ष दलित होने से मान जाएंगे। 

शैलजा-सुरजेवाला चुनाव नहीं लड़ पाएंगे

यह सही है कि इस बार के विधान सभा चुनाव को लेकर कांग्रेस बहुत आश्वस्त नजर आ रही है, लेकिन पार्टी की अंदरूनी कलह कांग्रेस नेतृत्व की चिंताएं बढ़ा रही है। शैलजा समर्थक भले ही दलित सीएम की मांग उठा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि हाल ही में जो सांसद चुने गए हैं, उन्हें विधान सभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। स्वयं को सीएम की कुर्सी से जोड़कर कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने विधान सभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन हाईकमान के फैसले के बाद ये दोनों चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। 

अंदरखाने भी शह-मात का खेल
कांग्रेस में एक धड़ा ऐसा भी है जो कांग्रेस हाईकमान को यह समझाने में लगा हुआ है कि अगर हरियाणा में दलित सीएम बनाया जाता है तो इससे देश भर में दलितों के बीच बहुत अच्छा संदेश जाएगा और हरियाणा का दलित सीएम पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा भी बनेगा। इसका लाभ पार्टी को देश भर में मिलेगा। राजनीति के जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस दलित चेहरा ही हरियाणा में सामने लाएगी। 
शायद इसका अहसास भूपेंद्र हुड्डा को भी है, इसलिए वे राज्य की 90 में से कम से कम 65 सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं। अगर ऐसा हुआ तो चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस नेतृत्व चाहकर भी किसी दलित को सीएम नहीं बना पाएगा क्योंकि शक्ति परीक्षण में बहुमत हुड्डा के पास होगा। 

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