ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, साक्षात विश्वनाथ हैं-सीएम योगी

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज गोरखपुर में हैं। आज यहां दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की दो दिवसीय संगोष्ठी में योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संतों की परंपरा हमेशा से जोड़ने की रही है। संतों ने समाज को जोड़ने का काम किया। अपने भाषण के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज लोग जिसे ज्ञानवापी मस्जिद कह रहे हैं, वह साक्षात बाबा विश्वनाथ हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केरल में एक संन्यासी जन्मा, जिसके माता-पिता ने उसका शंकर रखा और उनको दुनिया आदि शंकराचार्य के नाम से जानती है। उन्होंने भारत के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना की। आचार्य शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे के ज्ञान के लिए काशी आए तो साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली।

Sep 14, 2024 - 13:58
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ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, साक्षात विश्वनाथ हैं-सीएम योगी

 

एक दिन ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं, तो उनके सामने चांडाल के रूप में खुद विश्वनाथ खड़े हो जाते हैं, तो शंकराचार्य कहते हैं कि हटो मेरे मार्ग से हटो, इस पर चांडाल रूप में बाबा विश्वनाथ उनसे एक प्रश्न पूछते हैं कि आप अपने आपको अद्वैत ज्ञान का मर्मज्ञ मानते हैं, आप किसे हटाना चाहते हैं, आपका ज्ञान क्या इस भैतिक काया को देख रहा है या भौतिक काया के भीतर बसे उस ब्रह्म को देख रहा है। अगर इस ब्रह्म सत्य को जानकर आप ठुकरा रहे हैं तो आपका ज्ञान सत्य नहीं है। चांडाल के मुंह से जब शंकराचार्य ने यह बातें सुनीं तो वह भौंचक्के रह गए। इस पर आदि शंकाराचार्य ने पूछा आप कौन है, मैं जानना चाहता हूं, इस पर चांडाल ने कहा कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए केरल से चलकर आप यहां आए हैं, मैं उसका साक्षात विश्वनाथ हूं। जिसे आज लोग दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं। शंकराचार्य उनके सामने नतमस्तक होते हैं। उनको पश्चाताप होता है कि भौतिक अस्पृश्यता है, यह न केवल साधना के मार्ग में बाधक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ी बाधा है और यह देश इस बाधा को समझा होता तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं होता।

उन्होंने कहा कि हिंदी देश को जोड़ने के लिए एक वैधानिक भाषा है। मैं मानता हूं कि बहुसंख्यक आबादी, जिसे जानती और समझती है, वो राजभाषा हिंदी है। राजभाषा हिंदी के बारे में एक बात जरूर है कि इसका मूल देववाणी संस्कृत है।

 

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