गुरु गोविंद सिंह महान योद्धा ही नहीं, दार्शनिक और साहित्यकार भी थे

आगरा। सरबंस दानी दशम पातशाही गुरु गोविंद सिंह महाराज के प्रकाश पर्व के अवसर पर आज शहर के गुरुद्वारों में कीर्तन दरबार सजे। गुरु की महिमा का बखान किया गया।

Jan 6, 2025 - 18:55
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गुरु गोविंद सिंह महान योद्धा ही नहीं, दार्शनिक और साहित्यकार भी थे
गुरु गोविंद सिंह महाराज के प्रकाश पर्व पर सोमवार को गुरुद्वारा गुरु का ताल में में कीर्तन दरबार शबद कीर्तन करते रागीजन। दूसरा चित्र गुरुद्वारा दशमेश दरबार का है।  

-दशम पातशाही गुरु के प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा गुरु का ताल समेत अन्य गुरुद्वारों में सजे कीर्तन दरबार

मुख्य कार्यक्रम गुरुद्वारा गुरु का ताल में हुआ, जिसमें कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। कीर्तन और गुरमत विचार के माध्यम से दरबार साहिब में मौजूद संगत को गुरु गोविंद सिंह की जीवन गाथा से जोड़ा गया। दीवान की आरंभता सहज पाठ के भोग के साथ हुई।

स्त्री सुखमनी सभा की ओर से सुखमनी साहिब का पाठ और कीर्तन किया गया। बाबा अमरीक सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह एक शहीद पिता के पुत्र थे और चार शहीद पुत्रों के पिता भी थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व, सनातन और मानवता की रक्षा के लिए पूरे परिवार को कुर्बान कर दिया, इसलिए उन्हें सरबंस दानी भी कहा जाता है।

कीर्तन दरबार में सबसे पहले गुरमत विद्यालय के विद्यार्थियों ने कीर्तन किया। गुरुद्वारा गुरु का ताल के हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन से जुड़े शब्द पढ़े। उन्होंने अपनी वाणी से "तही प्रकाश हमारा भयों, पटना शहर विखे भव लयो", "हक हक आदेश गुरु गोविंद सिंह,  बादशाह दरवेश गुरु गोबिंद सिंह" शबद का गायन किया।

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना करते हुए पंच प्यारे सजाये। पहले उन्हें अमृत पान कराया और फिर उनसे स्वयं अमृत पान किया।। उन्होंने बताया कि गुरु गोविंद सिंह न केवल महान योद्धा थे बल्कि एक महान दार्शनिक व साहित्यकार भी थे। वह हिंदी, गुरुमुखी, अरबी, फारसी, उर्दू के विद्वान थे और उन्होंने साहित्य के क्षेत्र दशम ग्रंथ, विचित्र नाटक समेत कई ग्रंथों व पुस्तकों की रचना की।

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मीडिया प्रभारी जसबीर सिंह ने बताया कि भीषण ठंड के बावजूद कीर्तन दरबार में भारी संख्या में संगत ने हाजिरी भरी। प्रकाश पूरब के चलते  विशेष लंगर व मिष्ठान भी संगत में वितरित किए गए।

दीवान की समाप्ति आनंद साहिब के पाठ के साथ हुई। ग्रंथी अजायब सिंह टीटू ने अरदास की। इस दौरान जत्थेदार राजेंद्र सिंह, महंत हरपाल सिंह, ग्रंथी हरबंस सिंह, सतवीर सिंह, सुशील, हरनाम सिंह व जोगा सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

 गुरुद्वारा दशमेश दरबार में गुरवाणी कीर्तन

आगरा। गुरुद्वारा दशमेश दरबार शहीद नगर, विभव नगर श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज के प्रकाश उत्सव की खुशी में अमृतमयी कीर्तन का आयोजन किया गया। हजूरी रागी भाई जगतार सिंह देहरादून, बीवी कशलीन कौर, भाई हरजिंदर सिंह ने शब्द कीर्तन से संगत को निहाल कर दिया। ज्ञानी मंशा सिंह द्वारा गुरु महाराज की अरदास की गई।

प्रधान हरपाल सिंह, मलकीत सिंह, गुरुसेवक श्याम भोजवानी, गुरमीत सिंह सेठी, बल्देव कंपानी, हरजीत सिंह सेठी, परमजीत सिंह, गुरिंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह लवली,  इंद्रजीत सिंह वाधवा,  त्रिलोचन सिंह, सुरेंद्र सिंह लाडी, बॉबी सलूजा, आज्ञा सिंह आदि की मौजूदगी रही।

गुरुद्वारा श्री कलगीधर में भी कीर्तन दरबार

गुरु गोविंद सिंह महाराज के प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा श्री कलगीधर सदर बाजार कीर्तन में समागम का आयोजन किया गया। गुरमत समागम का शुभारंभ ज्ञानी अमरीक सिंह ने रहिरास साहिब के पाठ से किया। भाई हरजीत सिंह ने गुरू की वाणी का गायन किया। बीबी बलबिन्द्र कौर ने गुरु कीर्तन किया।

भक्तों से खचाखच भरे गुरुद्वारा साहिब का नजारा अलौकिक था। गुरुद्वारा को रंग बिरंगे फूलों व लाइटों से सजाया गया था। फुलों की सजी पालकी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब विराजमान थे। श्रद्धालुओं ने माथा टेक कर गुरु का आशीर्वाद लिया। समागम में प्रधान रमन साहनी, बंटी ओबराय,श्याम भोजवानी, रविन्द्र सिंह ओबराय,बबलू अरसी, सुरजीत सिंह छाबड़ा, कुलविंदर सिंह, सिमरन सिंह सबरबाल, हेमू भाई मौजूद थे।

 

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