हरियाणा का हुक्का रोककर दिखाए सरकार
चंडीगढ़। विधान सभा चुनाव के दौरान हरियाणा में गुटखा और तंबाकू के उपयोग पर एक वर्ष के इसीलिए रोक लगाई जा सकी क्योंकि यहां के लोग इसका बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। तंबाकू के साथ हुक्का भी जुड़ा हुआ है जो इस राज्य की परंपरा है और इस पर रोक के बारे में सरकार सोच भी नहीं सकती।
केवल उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और दिल्ली के जो लोग हरियाणा में रहते हैं या फिर रोज आते जाते हैं, अधिकांश वही लोग गुटखे का ज्यादा सेवन करते हैं।
उत्तर प्रदेश से सटे फरीदाबाद और पलवल आदि शहरों में गुटखा और तंबाकू की बिक्री राज्य के दूसरे शहरों के मुकाबले ज्यादा होती है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में तो पूरी तरह हुक्के का बोलबाला है।
हरियाणा के मूल निवासियों के बीच तंबाकू का उपयोग तो हुक्के में होता है। हरियाणा में हुक्का आज भी शान माना जाता है। प्रत्येक चौपाल, घर और दुकान आदि सभी स्थानों पर आपको हुक्का पीते लोग दिखाई दे सकते हैं।
हरियाणा की हुक्का परंपरा से क्या बूढ़े और क्या जवान, सभी जुड़े हुए हैं। एक साथ सभी एक ही हुक्का पीते हुए दिखते हैं।
राज्य के खाद्य आयुक्त ने तंबाकू और गुटखे की बिक्री और भंडारण पर भले ही साल भर के लिए रोक लगा दी है, लेकिन राज्य की हुक्का परंपरा को रोक पाना सरकार के बूते की बात नहीं। सरकार ने हुक्के को रोकने के बारे में सोचा भी तो किसी भी सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हां, गुटखा की बिक्री अवश्य इस आदेश से रुक जायेगी।
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