प्रकृति प्रेम, संरक्षण का प्रतीक है गोवर्धन पूजा, गौमाता के संवर्धन का लें संकल्पः अतुल कृष्ण भारद्वाज 

− राजेंद्र प्रसाद गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट ने आयोजित की सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा − डिफेंस एस्टेट फेस−1 स्थित श्रीराम पार्क में श्रीकृष्ण की लीलाओं का बखान, गोवर्धन पूजा  − छप्पन भोग दर्शन को उमड़े भक्त, गिरधारी की लीलाएं सुन सजल हुए नेत्र 

Feb 10, 2025 - 21:40
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प्रकृति प्रेम, संरक्षण का प्रतीक है गोवर्धन पूजा, गौमाता के संवर्धन का लें संकल्पः अतुल कृष्ण भारद्वाज 
डिफेंस एस्टेट, फेस 1 स्थित श्रीराम पार्क में राजेंद्र प्रसाद गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में पंचम दिवस गोवर्धन लीला का प्रसंग कहते कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज। 

आगरा। गिरधारी लीलाधारी हैं, रास का अर्थ उस रस से है जो जीवन को भक्तिरस से ओतप्रोत कर देता है। श्रीकृष्ण की लीलाओं का बखान करते हुए ये बातें कथा व्यास अतुल कृष्ण महाराज ने कहीं। 
डिफेंस एस्टेट फेस−1 स्थित श्रीराम पार्क में राजेंद्र प्रसाद गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिन श्रीकृष्ण अवतार बाल लीला, कालिया नाग मर्दन लीला, गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भाेग प्रसंग का वर्णन कथा का वर्णन हुआ। मुख्य यजमान सुनील एवं श्वेता गोयल ने व्यास पूजन किया। नितेश अग्रवाल और उमेश अग्रवाल ने आरती उतारी।

कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रीकृष्ण लीला का मधुर कंठ से जब वर्णन किया तो भक्तों के नेत्र भक्तिजल से ओतप्रोत हो उठे। कहा कि मन के कलुषित विचार जब भक्ति और श्रद्धा की रस्सी से मथ जाते हैं तो मन पावन श्वेत सा हो जाता है। उन्होंने गोवर्धन लीला का बखान करते हुए कहा कि प्रकृति का संरक्षण हर मानव का परम कर्तव्य है। जो धरा हमारे सभी पापों का भार स्वयं पर धर रही है उसकी अनदेखी करना महापाप है। गौ माता का संवर्धन ही समाज का उत्थान बन सकता है। ये संदेश परमयोगी पुरुष श्रीकृष्ण ने बहुत ही अल्पावस्था में दिया। तीनों लोक के दर्शन अपने मुख मंडल में मैया यशोदा को करवा दिए, ये प्रतीक है कि ब्रह्मांड हमारे स्वयं के भीतर है। बस स्वयं की आत्मा को जाग्रत करने की देरी है। गोवर्धन पूजा प्रसंग में मानसी गंगा हर गंगे…भजन की गूंज उठती रही। 

कथा प्रसंग के साथ− साथ कथा व्यास ने जीवन उपयोगी बहुमूल्य उद्देश्य भी बताए। कहा कि राक्षसी पूतना पर कहा कि आज भी समाज में हजारों पूतना जीवित हैं। भगवान किसी को मारते नहीं बल्कि तारते हैं। पहले तीनों अवतारों में महिला रूपी राक्षसों को ही तारा गया। इसका अर्थ यह नहीं है कि भगवान किसी को मारते हैं बल्कि वे अविद्या रूपी राक्षसों का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। यदि यह अविद्या घर-परिवार में आ जाए, तो घर में कलह एवं अशांति रहती है अर्थात पूतना रूपी राक्षसी अखबार, मोबाईल एवं टीवी इत्यादि के माध्यम से प्रत्येक घर व परिवार में पहुंच चुकी है और परिवार को तोड़ने का कार्य कर रही है, जिसका प्रभाव पूरे जीवन और समाज में पड़ रहा है। आज आवश्यकता है कि पूतना रूपी वृत्ति से सावधान रहा जाए। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना है कि क्या देखना, पढना एवं सुनना चाहिए और किस तरीके से भोजन करना चाहिए। भोजन को छोडा जा सकता है, क्योंकि वह शरीर के काम आता है, परन्तु दृष्टि से देखा गया, कान से सुना गया और स्वयं पढ़ा हुआ, यह सभी जीवन के आचरण में आकर समाज को सत्य एवं असत्य दिशा का मार्ग दर्शन कराता है। 

पंकज बंसल ने बताया कि मंगलवार को छठवें दिन कंस वध, उद्धव गोपी संवाद और रुक्मिणी विवाह लीला प्रसंग होंगे। कथा में दीपक गोयल, तनु गोयल, रवि गोयल, आरती गोयल, मनमोहन गोयल, पवन गोयन, भगवान दास बंसल, विष्णु दयाल बंसल, कल्याण प्रसाद मंगल, राजेश मित्तल आदि उपस्थित रहे।