भारतीय नौसेना की पनडुब्बी का निर्माण करेगी जर्मन कंपनी
बर्लिन। भारतीय नौसेना की बहुप्रतीक्षित AIP पनडुब्बी डील को लेकर बहुत बड़ी खबर सामने आई है। ऐसा प्रतीत होता है कि जर्मन फर्म थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम ने भारतीय AIP पनडुब्बी के कॉन्ट्रेक्ट को जीत लिया है। थिसेनक्रुप एजी भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ मिलकर भारत में ही छह पनडुब्बियों का निर्माण करेगा।
इससे पहले इस डील के लिए स्पेन की कंपनी नवंतिया भी एक दावेदार थी। कॉन्ट्रैक्ट जीतने के बाद नवंतिया भारत के एलएंडटी के साथ मिलकर इन पनडुब्बियों का निर्माण करने वाला था। हालांकि, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नवंतिया के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, क्योंकि वह भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं था।
नवंतिया और एलएंडटी ने भारतीय नौसेना की टीम के सामने अपने महत्वपूर्ण एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन किया था। हालांकि, भारतीय नौसेना ने अपने टेंडर डाक्यूमेंट में अपनी आवश्यकताओं के लिए पहले से समुद्र में सिद्ध एक सिस्टम की मांग की गई थी। नवंतिया के एआईपी तकनीक का अभी तक किसी पनडुब्बी में लगाकर टेस्ट नहीं किया गया है, जो ऑपरेशनल हो।
अब नवीनतम घटनाक्रम का मतलब है कि सरकारी स्वामित्व वाली मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड, अपने साझेदार जर्मनी के थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) के साथ, छह पनडुब्बियों को बनाने की दौड़ में एकमात्र विक्रेता बची रहेगी। इस सौदे की लागत 70,000 करोड़ रुपये (लगभग 8.2 बिलियन डॉलर) से अधिक हो सकती है, जो भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा निर्धारित 43,000 करोड़ रुपये के बेंचमार्क से बहुत अधिक है।
इससे पहले, जर्मनी की थिसेनक्रुप एजी, भारत की मझगांव डॉक लिमिटेड के साथ साझेदारी में, भारत की परियोजना-75 की दावेदारी कर रही थी, जिसमें छह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण की बात कही गई है। भारतीय नौसेना की महत्वाकांक्षी पनडुब्बी परियोजना कई प्रमुख क्षमताओं को लक्षित कर रही है, जैसे भूमि-हमला क्षमताएं, जहाज-रोधी युद्ध , पनडुब्बी-रोधी युद्ध , सतह-रोधी युद्ध, खुफिया, निगरानी और टोही , विशेष अभियान बल और हवाई-स्वतंत्र प्रणोद इनमें से सबसे महत्वपूर्ण एआईपी है।
What's Your Reaction?