भगवा चोले में छह दिन ही गौरी गिरि महारानी रह पाई आगरा की राखी
आगरा। कुंभ में संन्यास लेने वाली गौरी गिरि महारानी को अब फिर से पुराने नाम राखी धाकरे के नाम से ही पुकारा जाएगा। राखी का संन्यासी जीवन महज छह दिन ही चल सका। राखी संन्यास लेकर जिस जूना अखाड़े में शामिल हुई थी, उसी अखाड़े ने उसका संन्यास यह कहते हुए वापस ले लिया कि इस अखाड़े में नाबालिगों को संन्यासी नहीं बनाया जाता। इसके साथ ही अखाड़े ने अपने ही महंत कौशल गिरि को दंडस्वरूप सात साल के लिए अखाड़े से बाहर कर दिया है।
-जूना अखाड़े ने उसके संन्यास को अखाड़े के परंपरा के विपरीत माना, संन्यासी बनाने वाले महंत को भी मिला दंड
आगरा की राखी धाकरे विगत पांच दिसंबर को उस समय सुर्खियों में आ गई थी जब वह कुंभ में संन्यासी बन गई थी। 13 साल की राखी नौवीं की छात्रा है और आगरा के एक इंटर कॊलेज में अध्ययनरत है। पिछले दिनों वह पिता संदीप सिंह मां रीमा तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ में गई थी। वहां ये परिवार अपने गुरु श्री पंचदशनम जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि से मिला। मंहत कौशल गिरि से यह परिवार पहले से ही जुड़ा हुआ है।
इसी दौरान राखी ने यह जिद पकड़ ली थी कि वह संन्यास लेकर जूना अखाड़े में शामिल होगी और बाकी जीवन धर्म के प्रचार प्रसार में बिताना चाहती है। पहले तो माता-पिता ने उसे समझाया, लेकिन राखी नहीं मानी तो माता-पिता ने अपनी इस लाड़ली को जूना अखाड़े को दान कर दिया था।
इधर महंत कौशल गिरि ने परिवार के सामने ही राखी को भगवा चोला धारण करा दिया था। राखी का संन्यासी रूप देखकर उसकी छोटी बहन तो बहुत रोई थी, लेकिन फिर भी राखी अपने फैसले पर अटल रही थी। राखी के साथ पढ़ने वाली लड़कियां भी हैरान थीं। उसकी एक सहेली भी खूब रोई थी। महंत कौशल गिरि ने राखी को नया नाम गौरी गिरि महारानी नाम दिया। मंहत द्वारा 19 जनवरी को महाकुंभ में गौरी गिरि का पिंडदान भी कराने का भी तैयारी कर रखी थी।
13 साल की इस नाबालिग बालिका के संन्यास धारण करने का मामला बहुत चर्चाओं में रहा था। उस जूना अखाड़े में भी चर्चा हुई जिसमें राखी शामिल हुई थी। इस अखाड़े में ही यह माना जा रहा था कि नाबालिग को संन्यास ग्रहण कराना उचित नहीं। इसी क्रम में विगत दिवस जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में अखाड़े की एक आम सभा बुलाई गई और इस मामले पर विचार कर गौरी गिरि महारानी (राखी धाकरे) का संन्यास वापस लेने का निर्णय लिया गया।
जूना अखाड़े ने माना कि महंत कौशल गिरि ने नाबालिग बालिका को संन्यास ग्रहण कराकर अखाड़े की परंपरा तोड़ी है, इसलिए उन्हें दंडस्वरूप सात साल के लिए अखाड़े से बाहर करने का निर्णय भी लिया गया।
जूना अखाड़े की आम सभा के इस फैसले के बाद छह दिन की संन्यासिन गौरी गिरि महारानी को अब उसके मूल नाम राखी के नाम से ही जाना जाएगा। जूना अखाड़े के फैसले के बाद राखी अब अपने घर लौट रही है।
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