मालगोदाम प्रकरणः सीईसी ने पूछा- रिपोर्ट में फॊरेस्ट एक्ट की धाराएं क्यों नहीं लगीं
आगरा। रेलवे के गधापाड़ा मालगोदाम में 23 हरे पेड़ों को काटे जाने और जलाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने इस मामले में पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में यूपी फॊरेस्ट एक्ट की धारा 10 और 14 दर्ज न होने पर सवाल उठाए हैं। सीईसी ने इस बात को वन विभाग के संज्ञान में लाकर अग्रिम कार्यवाही करने को कहा है।
-पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता ने पेनल्टी बतौर मालगोदाम की जमीन पर ग्रीन एरिया बढ़ाने पर दिया जोर
सीईसी ने यह बैठक पिछले दिनों गधापाड़ा मालगोदाम का मुआयना करने वाली टीम द्वारा भेजी गई रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बुलाई थी। आज की बैठक में सीईसी की ओर से रेल लैंड डेवलपमेंट अथॊरिटी से सवाल पूछा गया कि जब अथॊरिटी मालगोदाम की जमीन को 99 साल की लीज पर दे रही है तो बिल्डर के आवासीय प्रोजेक्ट बनाने पर इस जमीन की रजिस्ट्रियां कैसे हो सकेंगी। साथ ही यह भी पूछा कि अगर बिल्डर भी लीज करेगा तो इसके आगे दूसरे, तीसरे या चौथे खरीददारों को लीज कैसे ट्रांसफर हो पाएंगी।
पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता ने सीईसी को सुझाव दिया कि रेलवे मालगोदाम की जमीन पर पेनॊल्टी के रूप में कुल जमीन में ग्रीन एरिया बढ़ा दिया जाना चाहिए। इस एरिया में ग्रीनरी विकसित हो और इसमें आम लोगों को भी आवागमन की अनुमति मिलनी चाहिए।
सभी पक्षों की बात सुनने के बाद सीईसी ने संकेत दिया कि वह स्वयं भी आगरा पहुंचकर गधापाड़ा मालगोदाम का निरीक्षण कर सकती है। इसके साथ ही सीईसी ने रेल डेवलपमेंट अथॊरिटी को यह भी निर्देश दिया कि अब आगे से रेलवे की जो भी जमीन वह बेचें, उसमें खड़े पेड़ों की पहले गिनती कराएं और इसके बाद टेंडर में यह शर्त भी डालें कि जिस राज्य में रेलवे की भूमि है, उसे बेचने में उस राज्य के वन विभाग के नियम भी लागू होंगे।
What's Your Reaction?