फ्रांस का भारतीय पिनाका राकेट खरीदने से इनकार

पेरिस। फ्रांस ने भारतीय 'पिनाका' मल्टीपल बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में कुछ समय पहले गहरी दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस ने भारतीय हथियार खरीदने से इनकार कर दिया है।

Apr 12, 2025 - 13:53
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फ्रांस का भारतीय पिनाका राकेट खरीदने से इनकार


 रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अब फ्रांस 2026 में, यानि अगले साल अमेरिकी मूल के हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम के यूरोपीय एनालॉग का टेस्ट करेगा। फ्रांस ने 2026 में घरेलू स्तर पर विकसित रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम का परीक्षण करने की योजना बनाई है। डिफेंस न्यूज ने 10 अप्रैल को इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय वर्तमान में ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जिससे एक साल के भीतर नये सिस्टम के टेस्ट करने की क्षमता मिल जाएगी।

दरअसल, फ्रांस अपने पुराने एमएलआरएस सिस्टम एलआरयू को बदलने के लिए नये रॉकेट सिस्टम की तलाश कर रहा है। जिसके लिए उसने पहले भारतीय पिनाका में दिलचस्पी दिखाई थी। ये भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा मौका हो सकता था। लेकिन अब वो एक नए और ज्यादा शक्तिशाली, स्वदेशी मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) को डेवलप करने की दिशा में काम कर रहा है। घरेलू सिस्टम बनाकर फ्रांस अमेरिकी एचआईएमएआरएस जैसे सिस्टम पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। फ्रांस जिस नये सिस्टम को डेवलप कर रहा है, उसकी मार करने की क्षमता 150 किलोमीटर होगी। इसे दो यूनियन थेल्स और एरियनग्रुप, और सफ्रान और एमबीडीए फिलहाल अलग अलग प्रोटोटाइप का निर्माण कर रहे हैं।

स्वदेशी हथियार बनाने पर फ्रांस का जोर
यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को बता दिया है कि हर देश को हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर होना चाहिए। जबकि डोनाल्ड ट्रंप ने आईना दिखाया है कि अगर हथियारों के मामले में आप आत्मनिर्भर नहीं हैं तो आपकी मदद करने वाला कोई नहीं है। ट्रंप के आने के बाद सबसे बड़ा झटका यूरोप को ही लगा है। फ्रांस फिलहाल एम270 का इस्तेमाल करता है लेकिन 2027 में ये रिटायर्ड हो जाएगा। फ्रांस ने पहले इसे रिप्लेस करने के लिए पहले किसी और देश से रॉकेट लॉन्चर खरीदने का फैसला किया था, लेकिन देश के ज्यादातर सांसदों और अधिकारियों ने स्वदेशी निर्माण पर जोर दिया। फ्रांस जो नया एमएलआरएस बना रहा है, उसकी क्षमता क्या होने वाली है, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि ये सिस्टम अमेरिकी एचआईएमएआरएस को टक्कर देने वाला होगा।

एचआईएमएआरएस की रफ्तार करीब 85 किलोमोटीर प्रतिघंटे की है और इसे आसानी से युद्ध क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। इसमें ईआर-एमएलआरएस रॉकेट के लिए 45 किलोमीटर तक, अत्याधुनिक जीएमएलआरएस रॉकेट के लिए 70 किलोमीटर तक और सामरिक मिसाइलों के लिए 300 किलोमीटर तक की प्रभावशाली फायरिंग रेंज है। इस प्रकार, यह दूर के लक्ष्यों को मारने और विभिन्न इलाकों में सैन्य अभियानों के दौरान इस्तेमाल के लिए एक विस्तृत रेंज प्रदान करता है।

लिहाजा फ्रांसीसी सेना, एचआईएमएआरएस जैसे विदेशी सिस्टम पर निर्भरता को कम करने के लिए स्वदेशी समाधान की तलाश में है। इस दिशा में, साफ्रान और एमबीडीए जैसे फ्रांसीसी रक्षा कंपनियां एक नए एमएलआरएस सिस्टम के विकास पर काम कर रही हैं, जिसकी मारक क्षमता 500 किमी तक हो सकती है। यह प्रणाली फ्रांस की रक्षा स्वायत्तता को बढ़ावा देगी। फ्रांस की यह पहल न सिर्फ उसकी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगी, बल्कि यूरोपीय डिफेंस इंडस्ट्री को भी नई दिशा देगी।