अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा के लिए मथुरा-वृंदावन में भक्ति का सैलाब, राधे-कृष्ण के जयकारों की गूंज

मथुरा। अक्षय नवमी के पर्व पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति की कामना लिए परिक्रमार्थियों का सैलाब तीन वन की परिक्रमा में उमड़ पड़ा। पूरा परिक्रमा मार्ग जय श्रीकृष्ण, राधारानी की जय, जयजय श्री राधे, बांके बिहारी लाल की जय के जयकारों से गूंजता रहा।

Nov 10, 2024 - 21:04
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अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा के लिए मथुरा-वृंदावन में भक्ति का सैलाब, राधे-कृष्ण के जयकारों की गूंज

राधा-कृष्ण की भक्ति की ऐसी दीवानगी थी कि न थकावट की चिंता थी और न पैरों में चुभन की।  परिक्रमार्थी  परिक्रमा मार्ग में बज रहे भक्ति रस के गानों पर थिरक भी रहे थे। मथुरा, वृंदावन और छटीकरा के समूचे परिक्रमा मार्ग में श्रद्धा और भक्ति की अनूठी छटा विखर रही थी। 

अक्षय नवमी पर बीती देर रात से तीन वन की 21 कोसीय परिक्रमा प्रारंभ हो गई थी। कोई सिर पर अपना सामान रख कर चल रहा था तो कोई अपने आराध्य को हाथों में लेकर परिक्रमा लगा रहा था। परिवार के परिवार परिक्रमा लगा रहे थे। 

मथुरा के परिक्रमा मार्ग के मंदिर यमुनाजी, द्वारिकानाथ, ध्रुव टीला, कंकाली देवी मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, श्रीकृष्ण जन्मस्थान, केशवदेवजी मंदिर, महाविद्या देवी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर,  छटीकरा के गरूण गोविंद मंदिर, वृंदावन के कालीदह, जुगल घाट, केशीघाट, टटिया स्थान होकर राजपुर गांव से निकलकर तीन वन की परिक्रमा लगा कर अपने को धन्य मान रहे थे। 

जो श्रद्धालु केवल वृंदावन की परिक्रमा लगा रहे थे, वे चामुंडा देवी मंदिर होकर  परिक्रमा लगा रहे थे। मथुरा के अधिकांश श्रद्धालु मथुराजी की परिक्रमा कर रहे थे। 

महिलाएं भजन संकीर्तन करते हुए चल रहीं थीं। वहीं युवक ढ़ोलक, झांझ बजाते हुए कीर्तन करते हुए चल रहे थे। जगह- जगह भजन संकीर्तन के डेक बज रहे थे। किसी को भी  जर्जर हो रही सड़क की निकली गिट्टी की चुभन की चिंता नहीं थी। उन्हें केवल परिक्रमा पूरी करने की ललक थी। 

अक्षय नवमी की परिक्रमा देने के लिए राजस्थान, हरियाणा और ब्रज क्षेत्र से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के श्रद्धालु लाखों की संख्या में पहुंचे।

SP_Singh AURGURU Editor