मानवता की खुली आंख के सबके सुंदर सपने राम...
विख्यात राम कथा मर्मज्ञ डा. कुमार विश्वास ने आज आगरा के जेपी वेडिंग स्क्वायर में अपने-अपने राम में आगरावासियों को राम कथा के विविध प्रसंग सुनाए। लोगों को सीख दी कि पश्चिम के षड्यंत्र से भारत के परिवारों व संस्कारों को बचाने के लिए हमें राम कथा सुनना ही नहीं, सुनाना भी है।
आगरा। अयोध्या में भगवान को विग्रह में पधारे एक वर्ष हुआ है। हम और आप जब नहीं रहेंगे तब लोग स्वीकार करेंगे कि 22 जनवरी 2024 वह दिन है जब भारत ने अपनी आस्थाओं को लोक स्वीकार का विषय बनाया। यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का समय है। हमें समझना होगा कि हमारी संस्कृति लोक के प्रश्न को टालती नहीं है।
दूसरी संस्कृति कहती है कि प्रश्न किया तो मार देंगे, काट देंगे। इसी आगरा में एक बेटे ने बाप को सात साल कैद रखा। एक हमारे राम हैं जिन्होंने अपने पिता के कहने पर राज्य छोड़ दिया। पश्चिम का षड्यंत्र है हमारे परिवार और संस्कार को खत्म करना।
अगर आपके घर में राम रहे, राम की कथा रही तो हमारे परिवार और हमारे संस्कार सुरक्षित रहेंगे। परिवारों को तोड़ने के दौर में रामकथा परिवारों को जोड़ने का हथियार है। राम किसी पार्टी की बपौती नहीं, राम इस देश की आत्मा हैं। राम कथा हमारी आत्मा की इम्युनिटी बढ़ाती है। हमारी सनातन संस्कृति का ही प्रभाव है कि कुंभ में 40 करोड़ लोग पहुंचने वाले हैं।
ये उद्गार अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राम कथा मर्मज्ञ व युग वक्ता डॉ. कुमार विश्वास ने फतेहाबाद रोड स्थित जेपी वेडिंग स्क्वायर में शनिवार शाम बीएन परिवार और श्री राम सेवा मिशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय अपने-अपने राम कार्यक्रम के शुभारंभ पर भव्य पंडाल में उपस्थित हजारों लोगों के समक्ष व्यक्त किए।
उन्होंने राम कथा का वैज्ञानिक विवेचन करते हुए समझाया कि इंद्र के बेटे जयंत की ओर भगवान राम द्वारा सरकंडे की नोक का फेंका गया तीर उसी तरह जयंत के पीछे गोल-गोल घूमता रहा जैसे आज सेंसर्ड ड्रिवन मिसाइल गोल-गोल घूम कर दुश्मन को मार गिराती है। कौए के रूप में जयंत की आंख में लगे तीर को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि पंछियों में अकेला कौआ ही है जिसकी एक ही पुतली है जो 12 बार घूमती है।
उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन पार्टियों ने राम के काल्पनिक होने का हलफनामा कोर्ट में दिया, आज वह खुद काल्पनिक हो गईं। उन्होंने कहा, वाह रे राम! 500 वर्ष पहले बगदाद के जो लुटेरे हमारे मंदिरों को तोड़कर सोना हीरा लूट कर ले जाना चाहते थे, उनके हाथ में आज भी कटोरा है और तेरे माथे पर करोड़ों का हीरा है।
अपने-अपने राम में छलके अमृत बिंदु..
-पहले था 'नेकी कर दरिया में डाल', पर अब प्रदर्शन इतना बढ़ गया है कि अब हो गया है 'नेकी कर फेसबुक पर डाल..'
-विज्ञान की सीमा है, अध्यात्म की नहीं..।
-हमारी संस्कृति में अमृत तत्व है और हमें लगता है कि सब कुछ पूरब के पास है। हमारी निद्रा बहुत गहरी है..।
-कुंभ में रील बनाने मत जाना। रियल लाइफ का अनुभव लेने जाना। वहां सुविधा मत देखना। पुण्य और धर्म का आनंद सुविधा में नहीं है। कष्ट सहकर पाया गया ईश्वर का दर्शन ही फल देता है..।
-विज्ञान वाले वर्ष 2020 में गॉड पार्टिकल ढूंढ कर लाए जबकि हमने हजारों वर्ष पहले ही कह दिया था कि ईश्वर कण-कण में विद्यमान है..।
-अनीति को हटाकर नीति की स्थापना ही धर्म का लक्ष्य है..।
-आज नेटफ्लिक्स और अमेजॉन के साथ-साथ टीवी सीरियल्स द्वारा जेठों के खिलाफ षडयंत्र रचने वाली बहुएं तैयार की जा रही हैं, इन्हें उर्मिला की कहानी कौन सुनाएगा!
-भगवान राम की कहानी अद्भुत कहानी है। इससे अपने घर में बच्चों को अछूत ना करें..।
-छोटे भाई से मुकदमा लड़कर राम और भरत की कहानी सुनने से क्या फायदा। यह कथा सुनकर अगर दो भाई पास आ सकें तो समझो कि राम कथा सुनने का फायदा हुआ..।
-मुझे इस बात का कष्ट है कि आज विवाह में सब कुछ प्रासंगिक हो गया है संस्कार के अलावा..।
-तुम्हारे घर में करोड़ों का ज्ञान भरा पड़ा है और तुम पश्चिम की रील देख रहे हो, जहां कुछ भी सार्थक नहीं..।
-जिसने मानस पढ़ ली, गीता पढ़ ली, फिर उसे किसी और किताब को पढ़ने की जरूरत नहीं..।
इन्होंने किया शुभारंभ
इसके पूर्व भव्य मंच पर केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य, राज्यसभा सांसद नवीन जैन, कानपुर के सांसद रमेश अवस्थी व बीएन परिवार के मुखिया और श्रीराम सेवा मिशन के उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस दौरान सचिन अवस्थी, शुभम अवस्थी, संजय गोयल, वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग सिन्हा, मधुर गर्ग, अनिल वर्मा एडवोकेट, जिला जज विवेक सिंघल, सांसद राजकुमार चाहर के पुत्र सूरवीर चाहर, एडवोकेट अशोक चौबे डीजीसी, गौरव त्रिपाठी और रमेश मुस्कान भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
इन भजनों और कविताओं ने किया भाव विभोर
1..चलो अब लौट चलें रघुराई। जन-जन के हित इस निर्जन में हमने उमर खपाई..
2.. अवध में आए गए रघुराई। बिरज में आएंगे श्री कन्हाई..
3.. राम सृष्टा भी हैं और सृष्टि भी हैं। राम दृष्टा भी है और दृष्टि भी हैं ..
4.. वो जिसके नाम का पत्थर समंदर पार कर जाए। वो जिसके दम से तीनों लोक में संध्या-सवेरे हैं। वही एक राम तेरे हैं, वही एक राम मेरे हैं। अवध के राम मेरे हैं सिया के राम मेरे हैं..
5.. यूं अवध पति से जग के पति बन गए। राम जब वन गए, राम तब बन गए..
6... मानवता की खुली आंख के सबसे सुंदर सपने राम। जिह्वा वाणी अर्थवती हो गई लगी जब जपने राम। मात पिता गुरु जन परिजन ने अपने-अपने देखे थे। दुनिया भर ने देखे अपने अपने अपने अपने राम..
7.. बहुत दिन सो लियो रे। अब तू जाग मुसाफिर जाग। जन्म थारो खो लियो रे, अब तू जाग मुसाफिर जाग..
कल शाम होगा अपने-अपने राम का समापन
जेपी वेडिंग स्क्वायर, फतेहाबाद रोड पर आयोजित दो दिवसीय अपने-अपने राम कार्यक्रम का रविवार को समापन होगा। शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक डॉ. कुमार विश्वास राम कथा के विभिन्न प्रसंगों का मार्मिक और वैज्ञानिक विवेचन करेंगे।
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