हरेक को डर, कहीं उनके बैनामे से भी छेड़छाड़ तो नहीं हो गई?
आगरा। सदर तहसील परिसर स्थित रजिस्ट्री ऒफिस के रिकॊर्ड रूम में बैनामों के असली दस्तावेज हटाकर फर्जी दस्तावेज लगाने का खेल बेखौफ चल रहा था। इसका खुलासा होने के बाद हर वह व्यक्ति चिंतिति हो उठा है जिसने पिछले कुछ समय के दौरान अपनी संपत्तियों की रजिस्ट्री कराई हैं। हरेक को लग रहा है कि कहीं उनके बैनामे के साथ लगे दस्तावेजों के साथ भी छेड़छाड़ तो नहीं हो गई।
शायद इस फर्जीवाड़े का खुलासा भी न हो पाता, अगर इसकी शिकायत शासन स्तर तक न पहुंचती। शासन से निर्देश मिलने के बाद जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच एडीएम फाइनेंस, एडीएम एडमिनिस्ट्रेशन, एसडीएम सदर और तहसीलदार सदर से कराई। जब ये चारों अधिकारी रिकॊर्ड में जांच के लिए पहुंचे तो फर्जीवाड़े की एक-एक परत उघड़ने लगी और जो सच सामने आया, वह यह था कि गैंग 11 बैनामों के असली दस्तावेज हटाकर उनकी जगह नकली दस्तावेज लगाकर इन 11 संपत्तियों को विवादित बना चुका था।
सवाल यह उठ रहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले गैंग का मोहरा बने रिटायर्ड स्टोर कीपर देवदत्त शर्मा के कारनामे वरिष्ठ अधिकारियों की नजर में कैसे नहीं आए। रिकॊर्ड रूम में इस गैंग के लोगों की बेरोकटोक एंट्री के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को कैसे जानकारी नहीं हो सकी जबकि निबंधन के वरिष्ठ अधिकारी भी यहीं बैठते हैं। यह जांच का विषय है कि वरिष्ठ अधिकारी आंखें बंद किए क्यों बैठे रहे।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फर्जीवाड़े में शामिल 11 लोगों के खिलाफ चार मुकदमे भी दर्ज हो गए हैं। अब गेंद पुलिस के पाले में हैं। पुलिस ने इन मामलों की जांच के लिए एसआईटी बना दी है। पुलिस संबंधित बैनामों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजने जा रही है।
जिन बैनामों के साथ छेड़छाड़ हो रही है, उन संपत्तियों के असली मालिकों को फर्जी बैनामे निरस्त कराने के लिए अभी बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे, क्योंकि यह फर्जीवाड़ा सिद्ध होने के बाद अदालत ही फर्जी रजिस्ट्रियों को निरस्त करेगी। अदालत से जब तक यह नहीं हो जाता, तब तक संपत्तियों के असली मालिकों की सांसें अटकी रहेंगी।
ये 11 मामले तो सामने आ गए हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान जिन लोगों ने संपत्तियां खऱीदकर उनकी रजिस्ट्री कराई है, वे सभी भी डरे हुए हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं इस गैंग ने उनकी रजिस्ट्री के साथ भी छेड़छाड़ तो नहीं कर दी।
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