भारत और अमेरिका के बीच ड्रोन सौदा लगभग पक्का
वाशिंगटन। भारत ने अमेरिका के साथ आज अरबों डॉलर के ड्रोन सौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन जो बाइडन से मुलाकात की।
इस दौरान मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने ड्रोन सौदे पर भी विस्तार से चर्चा की।
भारत अमेरिका से स्काई गार्जियन और सी गार्जियन ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है। इन ड्रोन को खरीदने की लागत करीब तीन बिलियन डॉलर है। भारत का लक्ष्य इस समय चीनी सीमा पर निगरानी की क्षमता को बढ़ाना है. इस सौदे के लिए बातचीत पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से चल रही है। पिछले साल जून में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलों और लेजर-गाइडेड बमों से लैस स्काई गार्जियन और सी गार्जियन सशस्त्र ड्रोन की खरीद को मंज़ूरी दी थी। ड्रोन खरीदने के अलावा, भारतीय नौसेना इस वित्तीय वर्ष में दो अन्य बड़े रक्षा सौदे भी करने की योजना बना रही है। नौसेना इस साल 3 और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां और 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा कर सकती है।
ये ड्रोन सशस्त्र बलों के निगरानी तंत्र के लिए बहुत जरूरी हैं। भारत इन ड्रोन को पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य टकराव के बीच चीन के साथ 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात कर सकता है. अगर ड्रोन की बात करें तो इसे 40,000-फीट से अधिक की ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया। ये ड्रोन 170 हेलफायर मिसाइल, सटीक-निर्देशित ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से लैस हैं।
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