9.5 करोड़ से कुत्तों-बंदरों की नसबंदी की, फिर बच्चे कैसे पैदा हो रहे? आगरा में जानवर खूंखार हो गए हैं
आगरा। नगर निगम के सदन में कल एक वरिष्ठ पार्षद ने ऐसा सवाल उठाया कि उसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं था। भाजपा पार्षद रवि माथुर ने पूछा कि नगर निगम ने 9.5 करोड़ रुपये खर्च कर शहर के कुत्तों और बंदरों की नसबंदी कर दी है तो फिर इन जानवरों की आबादी क्यों तेजी से बढ़ रही है। इन जानवरों के बच्चे कैसे पैदा हो रहे हैं?
पार्षद रवि माथुर ने महानगर में नागरिकों पर बंदरों के हमलों और कुत्तों द्वारा काटे जाने की गंभीर होती समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि शहर के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। बंदर खूंखार होते जा रहे हैं। छतों पर लोगों पर हमला बोल देते हैं। सड़क चलते लोगों पर हमला कर उनके हाथों से सामान छीन ले जाते हैं।
इसी प्रकार कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जिला अस्पताल में कुत्ता काटे के इंजेक्शन लगवाने वालों की संख्या जानकर इस समस्या की गंभीरता को समझा जा सकता है।
पार्षद ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों ने हमें अवगत कराया है कि उन्होंने बंदरों और कुत्तों की नसबंदी कर दी है। इस काम पर नगर निगम ने साढ़े नौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं। श्री माथुर ने सवाल किया कि अगर इन जानवरों की नसबंदी हो चुकी है तो इनके बच्चे कैसे पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी जरा अपने दफ्तरों से बाहर निकलकर शहर में जाकर देखें, बंदरों के छोटे बच्चे और कुत्तों के पिल्ले आपको घूमते मिल जाएंगे।
नगर निगम अधिकारियों द्वारा यह कहे जाने पर कि हमने तो उन कुत्तों और बंदरों के फोटो भी उपलब्ध कराए हैं जिनकी नसबंदी की गई है तो माथुर ने कहा कि हम कैसे मान लें कि जो फोटो आप हमें दिखा रहे हैं, उन जानवरों की वास्तव में नसबंदी हो चुकी है। अधिकारियों ने जांच की बात कही तो रवि माथुर ने फिर से सवाल उठाया कि कैसे जांच करोगे कि इन जानवरों की नसबंदी हो चुकी है। क्या वे अधिकारी-कर्मचारी सच्चाई आने देंगे जिन्होंने नसबंदी के आंकड़े रखे हैं।
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