दिव्य छप्पन भोग महोत्सवः क्षीरसागर में शेषनाग पर विराजे पर्वतराज
गोवर्धन। हीरे व पन्ना जड़ित, मेवा से बनी पोशाक, गले में मोती माणिक्य की माला, माथे पर मोर मुकुट और हाथ में बांसुरी। पाश्चात्य शैली में सजा गुरु कार्ष्णि आश्रम। ठाकुर जी संग 12501 किग्रा के दिव्य 56 भोग के होते दर्शन। क्षीरसागर के रूप में शेष नाग पर विराजे प्रभु की छवि के दर्शन कर तो हर कोई भावविभोर हो उठा।
-12501 हजार किलो व्यंजनों से सजा दिव्य छप्पन भोग
गुरु शरणानन्द जी महाराज, केंद्रीय राज्यमंत्री मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, विधायक पुरुषोत्तम खण्डेलवाल, एमएलसी विजय शिवहरे, कार्ष्णि आश्रम के मुखिया हरिओम महाराज, संस्थापक नितेश अग्रवाल और अध्यक्ष अजय सिंघल ने आरती उतारी|
सह संस्थापक मयंक अग्रवाल ने बताया कि प्रभु के समक्ष लगभग 12501 किग्रा के भोग को निवेदित किया गया। राजस्थानी परिवेश में लोक नृत्य और कठपुतली का खेल हुआ। दो दिवसीय महोत्सव में आगरा-मथुरा से हजारों श्रद्धालु गिरिराज जी महाराज के दिव्य छप्पन भोग महोत्सव के साक्षी बने। हजारों साधु-ब्राह्मणों की महाप्रसादम सेवा के साथ ही शॉल-दुपट्टा और दक्षिणा देकर स्वागत किया गया। आश्रम में भजन संध्या में देर रात्रि तक भक्त झूमते रहे।
दोपहर में हुआ गिरधर का दीदार
महोत्सव स्थल पर कोलकाता के कारीगरों द्वारा क्षीरसागर के रूप में तैयार देशी-विदेशी पुष्प प्राकृतिक सुंदरता का अहसास करा रहे थे। जगमगाती झालरें पानी में चलते रंगीन फुब्बारे और लटकी लता-पताकाओं और फल-फूलों से पूरा वातावरण मनमोहक हो गया था।
दोपहर 12 बजे गिरिराजजी के दर्शन सामूहिक आरती के बाद खोले गये। भजनों की धुन के साथ श्रद्धालु महिलाएं नृत्य करने लगीं। प्रभु का भव्य स्वरूप देख तलहटी प्रभु के जयकारों से गूंज उठी। दिव्य छप्पन भोग महोत्सव में दर्शनों के लिए जनसैलाब उमड़ता रहा।
इस मौके पर रविंद्र गोयल, विजय अग्रवाल, विशाल बंसल, चंद्रमोहन, बंसल, नीरज, नरेंद्र गर्ग, कुलभूषण गुप्ता राम भाई, पुनीत अग्रवाल, विकास जैन, अंकुर अग्रवाल, मयंक जैन, विकाश जैन, अमित सिंघल, पुरुषोत्तम दास मित्तल, लक्ष्मण सिंघल, अनिल अग्रवाल, विकास वर्मा, संतोष मित्तल, आशी अग्रवाल, सीमा गोयल, रुचि बंसल, शिवानी अग्रवाल, शिवानी सिंघल आदि मौजूद रहे।
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