आगरा क्लब में रार, चुनाव पर उठे सवाल, प्रशासन और एयरफोर्स भी खफा
आगरा। शहर के लगभग 150 वर्ष पुराने आगरा क्लब में इस समय रार छिड़ी हुई है। पिछले दो दिन से क्लब की बैठकों में विवाद छिड़ा हुआ है। क्लब की कल हुई वार्षिक बैठक में चुनाव हुआ। इसी को लेकर आपत्ति है। इस बार क्लब की अध्यक्षता एयर फोर्स के पास आनी थी, लेकिन ऐसा होने पर संशय पैदा हो गया है।।कुछ सिविल सदस्यों ने भी चुनाव पर सवाल उठाते हुए फिर से चुनाव की मांग की है।
क्लब के चुनाव के बाद सबसे बड़ी बात यह हुई है कि इस बार क्लब की मैनेजमेंट कमेटी से प्रशासन बाहर हो गया है, जबकि क्लब के संविधान के अनुसार प्रशासन की ओर से एक डायरेक्टर प्रबंध कमेटी में होना चाहिए। इस वजह से प्रशासन की भी भौंहें तनी हुई हैं।
क्लब की बीते कल हुई वार्षिक बैठक से उठे विवाद को सुलझाने के लिए आज फिर से क्लब की बैठक बुलाई गई, लेकिन इसमें भी कोई समाधान नहीं निकल सका।
विवाद की वजह मैनेजमेंट कमेटी के आठ डायरेक्टर्स का चुनाव है। मैनेजमेंट कमेटी के 8 डायरेक्टर्स में से दो एयरफोर्स और दो आर्मी से चुन लिए गए। एक सदस्य प्रशासन की ओर से चुना जाना था लेकिन प्रशासन की ओर से कोई नामांकन ना आने पर इस सीट से साधारण सदस्य का नामांकन करा दिया गया।
सिविल मेंबर्स की ओर से तीन नामांकन अंतिम तिथि 11 सितंबर को आए थे, लेकिन इसके साथ इnकी फीस जमा नहीं हुई। बाद में फीस 22 सितंबर को जमा हुई। इसी को आधार बनाकर क्लब की बैठक में कहा गया कि इन चारों सदस्यों के नामांकन नियमानुसार खारिज होने चाहिए। अब इसी बात को लेकर दोबारा चुनाव की मांग की जा रही है।
टर्म के अनुसार 30 सितंबर के बाद एयरफोर्स के पास क्लब की अध्यक्षता आनी है। अब दुविधा यह है कि जिन चार डायरेक्टर का चुनाव अटक गया है, वह 30 सितंबर तक अगर निर्वाचित घोषित नहीं होते हैं तो आठ सदस्यीय मैनेजमेंट कमेटी क्लब के नए अध्यक्ष को किस तरह से चुन पाएगी।
उधर क्लब के सिविलियन मेंबर्स ने कहा है कि अगर इस विवाद का समाधान न निकाला तो यह मामला कोर्ट तक भी जा सकता है। सिविलियन मेंबर्स की ओर से इस मामले में पुलिस में शिकायत भी दी गई है।
आगरा क्लब की वार्षिक सभा में क्लब की बैलेंटिंग और मैनेजमेंट कमेटी का चुनाव होता है। इनका कार्यकाल एक साल का होता है। दोनों कमेटियों में आठ-आठ डायरेक्टर चुने जाते हैं, जिनमें से दो इंडियन आर्मी, दो एयरफोर्स, एक प्रशासन तथा तीन सिविल मेंबर्स में से होते हैं।
बीते कल हुई क्लब की बैठक वार्षिक बैठक ही थी और इसी में चुनाव हुआ। चुनाव के दौरान यह जानकारी सामने आई कि प्रशासन की ओर से कोई नामांकन ही नहीं आया है। इस पर प्रशासन की एक-एक सीट पर किसी दूसरे को नामांकन भरवा दिया, जिसका विरोध हुआ।
बैठक में प्रशासन की ओर से मौजूद एटीएम सिटी और एडीएम प्रोटोकॉल ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई। यह साफ नहीं हो सका कि चुनाव के लिए जिलाधिकारी से नाम मांगे गए या नहीं। एक बात यह भी कही गई कि तत्कालीन जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी के तबादले की वजह से उनकी ओर से क्लब की दोनों कमेटियों के लिए नाम नहीं भेजे जा सके।
प्रशासन के नामांकन के बगैर चुनाव को असंवैधानिक बताते हुए आपत्ति की गई। बैठक में एक बार तो आर्मी और एयरफोर्स के मेंबर्स में बहुत ज्यादा तनातनी बढ़ गई थी।
क्लब के सिविलियन मेंबर डॉक्टर कौशल नारायण शर्मा, प्रदीप वार्ष्णेय, मुकेश जैन, प्रमोद खंडेलवाल एवं अन्य ने क्लब के वर्तमान सचिव पर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए तथा मांग की कि पिछले वर्ष के व्यय के बारे की जांच कराई जाए। इन सदस्यों का यह भी कहना था कि चुनाव असंवैधानिक है, इसीलिए इसे दोबारा कराया जाए।
ऐतिहासिक है आगरा क्लब
आगरा क्लब डेढ़ सौ साल पुराना है, जो आगरा शहर के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।
आगरा क्लब की स्थापना 1879 में उस समय हुई थी, जब आगरा ब्रिटिश शासन के अधीन था। क्लब का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश अधिकारियों और स्थानीय एलिट वर्ग के लिए सामाजिक और मनोरंजन का केंद्र प्रदान करना था। क्लब में रेस्तरां, बार, स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, बिलियर्ड रूम और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
स्थापना के समय क्लब की सदस्यता विशेष रूप से ब्रिटिश अधिकारियों और स्थानीय उच्च वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन समय के साथ सदस्यता के नियमों में बदलाव आया और अब यह आम लोगों के लिए भी खुली हुई है।
आगरा क्लब का ऐतिहासिक महत्व है। आज भी इसकी वास्तु और स्थापत्य कला उस युग की याद दिलाते हैं।
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