आगरा में विकास को लगेंगे पंख
आगरा। एक हजार 11 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र, जहां होंगे लॉजिस्टिक वेयर हाउस, इंडस्ट्रियल आवास, आइटी केंद्र, इंडस्ट्रियल प्लॉट…और भी बहुत सी सौगातें आगरा को आने वाले समय में जब मिलेंगी तो शहर की रुकी हुई विकास की गति को रफ्तार मिलेगी। यह कहना था उप्र लघु उद्योग निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग (दर्जा राज्य मंत्री) का।
बुधवार लघु उद्योग भारती और सिडबी द्वारा संजय प्लेस स्थित होटल पीएल पैलेस में उद्योगवर्धन विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राकेश गर्ग, लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक अग्रवाल, जिलाध्यक्ष विजय गुप्ता, सिडबी महाप्रबंधक मनीष सिन्हा, प्रबंधक आकाश सोनी, सीए नितेश गुप्ता, सीए एसोसिएशन आगरा चैप्टर के अध्यक्ष अजय जैन ने मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी योजना के तहत आगरा में औद्योगिक विकास की नई संभावनाओं के साथ एमएसएमई के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, कर छूट और सब्सिडी संभावनाएं, एमएसएमई के लिए पूंजी जुटाने के लिए एमएसएमई आईपीओ का महत्व, व्यापार उत्तराधिकारी एवं संपत्ति सुरक्षा, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए रणनीतियां, सिडबी द्वारा एमएसएमई के प्रोत्साहन एवं विकास के लिए योजनाओं पर परिचर्चा की गयी।
मुख्य अतिथि उप्र लघु उद्योग निगम के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग (दर्जा राज्यमंत्री) ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा की गयी औद्योगिक शहरों की परियोजना आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण पहल है। फ्लैटेड फैक्ट्री के बाद ये परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की ये योजना शहर, राज्यों के साथ देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदल देगी, इससे औद्योगिक क्षेत्र और शहरों का सशक्त नेटवर्क तैयार होगा जो निश्चित रूप से आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
जिलाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि आगरा के पारंपरिक उद्योगों को अब विश्व पटल पर उभरने में अब अधिक समय नहीं लगेगा। विशेष रूप से लघु− सूक्ष्म और अति सूक्ष्म उद्योग स्मार्ट इंडस्ट्रियल योजना के तहत अपनी पहचान बना सकेंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करते हुए आगरा के पारंपरिक गैर प्रदूषणकारी उद्योग स्थापित करने का ये सही अवसर है।
विषय परिवर्तन करते हुए सीए नितेश गुप्ता ने एमएसएमई उद्योग से जुड़े लोगों को एसएमई आइपीओ निकालने की सलाह दी। उन्होंने इसका महत्व बताते हुए कहा कि एक दशक पहले तक सिर्फ बड़ी कंपनियों के ही शेयर होते थे किंतु सरकार द्वारा दी गयी सुविधा के बाद से अब छोटे उद्यमी जिनका सालाना टर्न ओवर 20 से 25 करोड़ हो वो भी अपनी कंपनी का आइपीओ बना सकते हैं। इससे ऋण पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा कि कंपनी के शेयर को लिस्ट कराकर स्टॉक एक्चेंज में पहुंचकर पूरे विश्व की नजर में आ जाते हैं। नाम बड़ा हो जाता है। पहचान मिल जाती है। शेयर के मूल्यांकन से कंपनी की ब्रांड वैल्यू बढ़ जाती है।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक अग्रवाल ने व्यापार के उत्तराधिकारी की अनिवार्यता के बारे में कहा कि अदालतों में सर्वाधिक केस इसी बाबत आते हैं। सिडबी के प्रबंधक आकाश सोनी ने बताया कि सिडबी सदैव से ही लघु उद्योगों को बढ़ावा देता रहा है। उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके तकनीकी उन्नयन एवं प्लांट और मशीनरी के लिए सहयोग करता है। सिडबी ने ऋण की प्रक्रिया को आसान और सुगम बनाया है, ताकि अधिक से अधिक उद्यमी लाभ प्राप्त कर सकें। समापन पर धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक शैलेश अग्रवाल ने दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महासचिव राजीव बंसल, कोषाध्यक्ष संजीव जैन, कार्यक्रम प्रभारी अरविंद शुक्ला, उपाध्यक्ष दिनेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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