लियो आज रे जनम नन्दलाल ने, खुशियां नन्दगांव में आई
आगरा। कंस के पापाचार, अत्याचारों से व्याकुल भूदेवी का उद्धार करने प्रकट हुए जब अविनाशी भक्तों के हितकारी श्रीकृष्ण देवकी नंदन, गूंज उठी चहुं ओर बधाइ, आकाश से देवों ने किया अभिनंदन। वाटरवर्क्स चौराहा स्थित गौशाला में बना भव्य श्रीकृष्ण लीला पंडाल उस वक्त जय जय कार से गूंज उठा जब जन्म हुआ अजन्मे का।
गौशाला प्रांगण में श्रीकृष्ण लीला समिति द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव में गुरुवार को मंचीय लीला शुभारंभ हुआ। इस्कॉन मंदिर, आगरा के प्रमुख अरविंद प्रभु जी, महंत अनंत उपाध्याय, नेशनल चैंबर के अध्यक्ष अतुल गुप्ता, डॉ हरेंद्र गुप्ता, डॉ संजीव नेहरू, मनीष अग्रवाल, श्रीकृष्ण लीला समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, महामंत्री विजय रोहतगी, लीला संयोजक शेखर गोयल, अशोक गोयल, संजय गोयल, विष्णु अग्रवाल, कैलाश खन्ना, विनीत सिंघल, अनूप गोयल, आशीष रोहतगी, मनोज बंसल, अनीस आदि ने श्रीलक्ष्मी नारायण भगवान की आरती कर मंचीय लीला का आरंभ किया।
लीलाओं का मंचन स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर, श्रीरास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट के निर्देशन द्वारा भक्तिरस से ओतप्रोत हो किया जा रहा है। लीला मंचन के प्रथम दिन कंस द्वारा वसुदेव- देवकी का विवाह कराना, कंस द्वारा रथ का हांकना, आकाशवाणी, वसुदेव- देवकी को कारागृह में नजरबन्द करना, रोहिणी जी का ब्रजगमन, बलराम जी का जन्म, कंस के अत्याचार, गौरूप पृथ्वी का देवताओं सहित क्षीर सागर में भगवान विष्णु के पास जाना और स्तुति करना, भगवान से देवताओं द्वारा यदुवंश में जन्म लेने को कहना और श्रीकृष्ण का वसुदेव के यहां जन्म लेने का आश्वासन देना।
नारद जी का कंस के दरबार में आना, कंस द्वारा देवकी की छह सन्तानों की हत्या करना, श्रीकृष्ण के प्राकट्य की सुन्दर झांकी, वसुदेव जी द्वारा गोकुल ले जाना, मार्ग के चमत्कार, नन्द बाबा के घर से माया को लाना, पहरेदारों द्वारा कन्या जन्म का समाचार कंस को देना, कंस द्वारा कन्या वध को उद्यत होना, योगमाया द्वारा कंस के हाथों से छूट कर भविष्यवाणी करना, अष्टभुजा देवी के दर्शन, कंस का निरुत्साहित होना जैसे प्रसंग हुए।
इसके बाद भजन- कीर्तन के बीच हुई आरती से पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। रोशनी से जगमग मंच पर परंपरागत वेशभूषा में कलाकारों ने अपने अभिनय का प्रभाव छोड़ते हुए दर्शकों को आनंदित किया। संचालन रीनेश मित्तल ने किया।
कृष्ण जन्म पर उमड़ी यमुना, दर्शक रह गए बंधे से
लीला मंचन के दौरान जब कंस एक− एक कर देवकी के पुत्रों का वध करता है और फिर श्रीकृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव उन्हें टोकरी में लेकर यमुना पार गोकुल लेकर जाते हैं, उस समय उमड़ती यमुना की लहरों के दृश्यों ने दर्शकदीर्घा को बांध कर रखा। श्रद्धालु बस श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप जहां थे वहीं से कर रहे थे और प्रभु की लीलाओं का आनंद ले रहे थे।
शुक्रवार को होगा नंदोत्सव
अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण लीला महोत्सव में शुक्रवार को नंदोत्सव की धूम रहेगी। जिसका आनंद भक्त मयूर नृत्य के साथ लेंगे। साथ ही पूतना उद्धार लीला का भी मंचन होगा।
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