गुरुद्वारा शहीद नगर में शबद के जरिए शहादत का वर्णन
आगरा। गुरु गोविंद सिंह के चार साहिबजादों और माता गुजर कौर और 40 सिखों की शहादत को इन दिनों पूरी दुनिया में शहीदी समागमों के रूप में मनाया जा रहा है। इसी के तहत आगरा के गुरुद्वारा शहीद नगर में 21 दिसंबर से 28 दिसंबर तक शहीदी सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
आज देहरादून से आए रागी भाई जगतार सिंह और आगरा के रागी भाई गुरशरण सिंह ने अपने रसमई कीर्तन के माध्यम से गुरुओं की वीरता व शहादत से जुड़े शबद से संगत को निहाल किया। उन्होंने करता तू सभना का सोई जा सकता सकते को मारे ता मन रोस ना होई ,,,,, तेरा कीया मीठा लागे हर नाम पदार्थ नानक मांगे..... शब्द सुनाए।
श्री हरमंदिर साहिब सचखंड अमृतसर से आए कथावाचक भाई कुलदीप सिंह ने क्रमवार शहादत के इस सफर पर विस्तार से अपने विचार रखे। गुरुद्वारा दशमेश दरबार विभव नगर के प्रधान हरपाल सिंह ने बताया कि इस क्रमवार गुरमत विचार के अंतर्गत चौथे दिन संगत के सामने बड़े साहिबजादों की शहादत के बाद दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को लेकर माता गुजर कौर किस तरह से अपने किले से निकलते हैं और मुगल फौज से बचते बचते बारिश भारी सर्द रात में जंगलों से होते हुए आगे का सफर तय करती हैं।
इस दौरान जो लोग उनकी मदद करते हैं वह इतिहास में अमर हो जाते हैं और जो उनके साथ गद्दारी कर उन्हें मुगल फौज से गिरफ्तार कराते हैं, वह हमेशा के लिए इतिहास में कलंकित हो जाते हैं।
कीर्तन व कथा विचार के बाद आनंद साहिब के साथ दीवान की समाप्ति हुई। गुरुद्वारा ग्रंथि ज्ञानी मंशा सिंह ने अरदास की। हुकूमनामे के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को निज स्थान पहुंच कर कीर्तन दरबार की समाप्ति हुई।
इस दौरान प्रबंधक कमेटी के सचिव मलकीत सिंह और मीत प्रधान श्याम भोजवानी ने संगत से 28 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह व शाम होने वाले कीर्तन दरबार में संगत से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने व गुरु घर की खुशियां प्राप्त करने की अपील की।
कीर्तन समागम में मुख्य रूप से सिमरनजीत कौर, जसविंदर कौर, चांदनी भोजवानी, सरबजीत कौर, स्वर्णजीत कौर, रंजीत कौर, कुलबीर कौर भसीन, अमरजीत कौर, सरनजीत कौर, हरजिंदर कौर बिंद्रा, दीपा कालरा, ज्योति अरोड़ा, अंजू कालरा आदि मौजूद रहे।
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