दिल्ली के नतीजों का इंडिया ब्लॊक को संदेश, कांग्रेस बगैर नहीं बनेगी बात  

नई दिल्ली। दिल्ली विधान सभा चुनाव के नतीजे इंडिया ब्लॊक के उन दलों के लिए भी संदेश है जो पिछले कुछ समय से कांग्रेस को अलग-थलग करने के बारे में सोचने लगे थे। इस चुनाव में यह सामने आ चुका है कि कांग्रेस के बगैर इन दलों का भी काम नहीं चलने वाला।

Feb 11, 2025 - 12:55
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दिल्ली के नतीजों का इंडिया ब्लॊक को संदेश, कांग्रेस बगैर नहीं बनेगी बात   

-इंडिया ब्लॊक में कांग्रेस को अलग-थलग करने की मुहिम का टेस्ट हो चुका है दिल्ली चुनाव में

-अखिलेश यादव और शिवसेना उद्धव के सुर तो बदल भी गए, ममता अभी पुराने स्टैंड पर ही

-एसपी सिंह-

दिल्ली के विधान सभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले में एक तरफ कांग्रेस थी तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राजद समेत इंडिया ब्लॊक की कई पार्टियां खुलकर आम आदमी पार्टी के पाले में खड़ी थीं। इन दलों ने कांग्रेस को अकेला छोड़ दिया था।

राजनीतिक प्रेक्षक दिल्ली चुनाव की इस स्थिति को उस मुहिम से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें क्षेत्रीय दल इंडिया ब्लॊक का नेतृत्व ममता बनर्जी को सौंपने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली चुनाव में आप के समर्थन में सबसे पहले समाजवादी पार्टी आकर खड़ी हुई। इसके बाद टीएमसी, एनसीपी और शिवसेना ने भी आम आदमी पार्टी का साथ देने का फैसला किया। अखिलेश यादव ने तो आप के लिए प्रचार भी किया। ममता बनर्जी ने भी शत्रुघ्न सिन्हा समेत अपने कई नेता आप के लिए प्रचार में जुटाए। कुल मिलाकर ये क्षेत्रीय दल दिल्ली के रण में कांग्रेस को भी भाजपा की तरह ही देख रहे थे।

अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े इंडिया ब्लॊक के घटक दलों ने कांग्रेस पर यह दबाव भी बनाया कि दिल्ली का चुनावी अखाड़ा कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के लिए खाली छोड़ देना चाहिए। इन सबकी परवाह किए बगैर कांग्रेस ने दिल्ली का चुनाव अकेले लड़ा। हालांकि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने तक दुविधा में रही कांग्रेस मतदान के दिन तक पूरी ताकत से लड़ती नहीं दिखी। जिस तरह का आक्रामक चुनाव प्रचार कांग्रेस की ओर से होना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का चुनाव प्रचार औपचारिकता जैसा ही दिखा। इस सबके बावजूद कांग्रेस अपना वोट प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले ढाई प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रही। यही चुनाव कांग्रेस ने पूरी ताकत से लड़ा होता तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत और बढ़ सकता था।

दिल्ली चुनाव में आप के हारने के बाद इंडिया ब्लॊक के सारे दल अब कांग्रेस पर हमलावर हैं। ये दल मान रहे हैं कि कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी हारी। कांग्रेस पर हमलों के बीच पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की यह प्रतिक्रिया सटीक है कि आम आदमी पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी कांग्रेस की नहीं है। कांग्रेस एक राजनीतिक दल है, एनजीओ नहीं।

कांग्रेस को आम आदमी पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली इंडिया ब्लाक की पार्टियां ये भूल रही हैं कि पिछले चुनाव के मुकाबले आप ने दस प्रतिशत से ज्यादा मत गंवाए हैं। दूसरी बात कांग्रेस तो पिछले चुनाव में भी आप के खिलाफ लड़ी थी। तब तो कांग्रेस उसकी हार की वजह नहीं बनी थी। हकीकत यह है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की छवि पर लगे दाग की वजह से उसकी बुरी हार हुई है।

दिल्ली के चुनावी नतीजों से इंडिया ब्लॊक के घटक दलों को साफ-साफ संदेश मिल चुका है कि वे कांग्रेस को अलग-थलग करने की सोचेंगे तो उनके राज्य में उनका भी वही हश्र हो सकता है जो दिल्ली में आप का हुआ है। चुनाव नतीजों के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव के तो सुर बदल चुके हैं। अखिलेश यादव इंडिया ब्लॊक की मजबूती की बातें करने लगे हैं। शिवसेना उद्धव गुट भी कांग्रेस को बड़ा भाई बताने लगी है। इन दलों के बदले सुर बता रहे हैं कि इन्हें भी समझ में आ रहा है कि कांग्रेस को अलग-थलग करने के नतीजे क्या हो सकते हैं।

हालांकि टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी भी कांग्रेस से दूरी बनाए रखने के अपने स्टैंड पर कायम हैं। ममता बनर्जी के ताजा बयान से स्पष्ट है कि वे बंगाल में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस से दूरी बनाए रखेंगी। इसके विपरीत इंडिया ब्लॊक के दूसरे दलों को कांग्रेस से दूरी बनाने के दुष्परिणाम दिखने लगे हैं।

 

SP_Singh AURGURU Editor