खांसी की आवाज बताएगी टीबी है या नहीं
गूगल एक ऐसे एआई टूल को विकसित कर रहा है जो खांसी की आवाज और सांस लेने का पेट्रन सुनकर ही बता देगा कि टीबी है या नहीं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन के अनुसार आज भी संसार में प्रतिदिन साढ़े चार हजार लोग टीबी के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। अकेले भारत में सही समय पर टीबी का पता न चलने तथा उचित इलाज न मिलने के कारण ढाई लाख लोग प्रतिवर्ष मर जाते हैं।
गूगल के इस एआई माडल में तीस करोड़ विभिन्न प्रकार की खांसने की आवाजें, नाक सुड़कने की आवाज और सांस लेने के पेट्रन के आडियो से प्रशिक्षित किया गया है। यह एआई टूल खांसी की हल्की सी आवाज सुनकर बता देगा कि खांसने वाले व्यक्ति को टीबी है अथवा नहीं।
इस टूल को स्मार्ट फोन में ले जाने के लिए गूगल ने इंडियन रेसपरेटरी हेल्थकेयर कंपनी सेलसिट टेक्नोलाजी से हाथ मिलाया है।
इस तकनीक के स्मार्टफोन में आने के बाद सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी मदद मिलेगी, जहां चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है।
गूगल की इसी एआई तकनीक का इस्तेमाल कर भारतीय कंपनी सेलसिट टेक्नोलाजी ने अपनी मशीन लर्निंग सिस्टम विकसित किया है, जिसका नाम स्वासा है। इस एप को भारतीय चिकित्सा उपकरण रेगुलेटर अथारिटी ने भी स्वीकृति दे दी है। कंपनी का दावा है कि उनके इस स्वासा सिस्टम पर केवल दस सेकेंड का खांसी का आडियो डाल दिया जाए तो वह 94 प्रतिशत मामलों में सही डाइगनोस कर देगा।
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