ताज महल की सांप्रदायिक ब्रांडिंग अनुचितः सफेद स्मारक न हरा है न भगवा

ताज महल को लेकर तरह-तरह के विवाद उठते ही रहते हैं। इसके धर्मनिरपेक्ष किरदार को लेकर नई बहस को जन्म दिया है।  सवाल उठ रहे हैं कि क्या मोहब्बत के इस स्मारक को सांप्रदायिक राजनीति के गड्ढे में घसीटा जा रहा है? ताज महल प्रेम का प्रतीक है और प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।

Mar 19, 2025 - 16:54
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ताज महल की सांप्रदायिक ब्रांडिंग अनुचितः सफेद स्मारक न हरा है न भगवा

-ब्रज खंडेलवाल-

17वीं सदी का एक उत्कृष्ट नमूना ताजमहल, प्यार की एक अमर निशानी के तौर पर खड़ा है, जिसे बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रेमिका मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसकी अद्वितीय खूबसूरती और ऐतिहासिक अहमियत ने इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर बना दिया है, जो दुनिया भर से लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है।

लेकिन, इसके धर्मनिरपेक्ष किरदार को लेकर हाल ही में हुए विवादों ने बहस को जन्म दिया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या मोहब्बत के इस स्मारक को सांप्रदायिक राजनीति के गड्ढे में घसीटा जा रहा है?

ताजमहल को लंबे अरसे से एक धर्मनिरपेक्ष स्मारक के तौर पर देखा जाता रहा है, जो मज़हबी सरहदों को पार करता है और प्यार, शांति और एकता की सार्वभौमिक कद्रों को दर्शाता है। फिर भी, हालिया सालों में यह मज़हबी गुटों के लिए एक जंग का मैदान बन गया है जो इसकी विरासत पर अपना अधिकार जताना चाहते हैं।

भगवान शिव (भोले नाथ) के भेष में आए एक पर्यटक को दाख़िल होने से रोकना और मज़हबी निशानियां ले जाने वाले एक हिंदू संत पर पाबंदी जैसी घटनाओं ने तनाव को हवा दी है। इन घटनाओं ने हिंदुत्व ग्रहों में क्रोध पैदा किया है, जो तर्क देते हैं कि अल्पसंख्यक मिल्कियत के दावों से स्मारक की धर्मनिरपेक्ष हैसियत को कम किया जा रहा है।

इस विवाद की जड़ें इतिहासकार पीएन ओक की किताब, ताज महल: द ट्रू स्टोरी में देखी जा सकती हैं, जिसमें दावा किया गया है कि यह स्मारक असल में राजपूत राजाओं द्वारा बनाया गया एक हिंदू मंदिर था। इस विचार को वामपंथी इतिहासकारों ने खारिज कर दिया है। हालांकि ऐसे बेकार दावों ने ताजमहल के सांप्रदायिकीकरण में योगदान दिया है, जिससे इसके धर्मनिरपेक्ष किरदार को ख़तरा है।

ताजमहल के संरक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने लगातार यह कहा है कि स्मारक एक धर्मनिरपेक्ष मिल्कियत है। एएसआई ने किसी भी मज़हबी व्याख्या के बजाय इसके ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प अहमियत पर ज़ोर दिया है। ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसायटी ने कई बार कहा है कि एएसआई का काम स्मारक को इंसानी रचनात्मकता और सांस्कृतिक विरासत के सबूत के तौर पर महफूज़ करना है, न कि मज़हबी रस्मों या सांप्रदायिक गतिविधियों के स्थल के तौर पर।

हालांकि, ताजमहल में नमाज़ से लेकर पूजा और गंगा जल से आरती तक धार्मिक रस्मों की बढ़ती मौजूदगी ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। ये गतिविधियां, जो कुछ समूहों द्वारा आयोजित की जाती हैं, स्मारक को एकता के बजाय विभाजन के निशान में बदलने की कोशिश दिखती हैं। सालाना शाहजहां उर्स के दौरान एक रस्मी चादर चढ़ाई जाती है, का भी पैमाना और लंबाई लगातार बढ़ रही है। चार गज से अब यह चादर एक हज़ार मीटर से अधिक लंबी हो चुकी है। तीन दिनों के लिए एएसआई मुफ्त दाख़िले की इजाज़त भी देता है। ज़ाहिर है इस तरह की गतिविधियां, हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विविधता को तो दर्शाते हैं, लेकिन आयोजकों को स्मारक के धर्मनिरपेक्ष सार को कमजोर करने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए।

समाजसेविका डॉ. विद्या चौधरी कहती हैं, "ताजमहल का सांप्रदायिकीकरण वैश्विक पर्यटक आकर्षण के तौर पर इसकी हैसियत के लिए एक उभरता ख़तरा है।" आगरा का पर्यटन उद्योग, जो स्मारक पर बहुत ज़्यादा निर्भर करता है, ने हिंदुत्व और मुस्लिम ग्रुप्स के बीच चल रहे विवाद पर चिंता ज़ाहिर की है। उद्योग जगत के नेताओं को डर है कि इस तनाव से पर्यटक निराश हो सकते हैं, जिससे प्यार और खूबसूरती के निशान के तौर पर स्मारक की प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है।

दरअसल, ताजमहल की अहमियत इसके मज़हबी संबंधों में नहीं बल्कि प्यार और इंसानी कामयाबी के स्मारक के तौर पर इसके सार्वभौमिक आकर्षण में निहित है।

इस जगह पर सांप्रदायिक गतिविधियों की इजाज़त देने से समुदायों के अलग-थलग पड़ने और इसके समावेशी किरदार को कमज़ोर पड़ने का डर है। ताजमहल जैसे वैश्विक धरोहर स्थल पूरी इंसानियत के हैं, जो सांप्रदायिक सरहदों से परे हैं और साझा विरासत की रूह को बढ़ावा देते हैं। ताजमहल की धर्मनिरपेक्ष साख को महफूज़ करना न सिर्फ़ ऐतिहासिक अहमियत का मामला है, बल्कि नैतिक ज़रूरत भी है। यह याद दिलाता है कि प्यार, खूबसूरती और कला सार्वभौमिक कद्रें हैं जो हमें एकजुट करती हैं, चाहे हमारी मज़हबी या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

स्मारक को सांप्रदायिक ब्रांडिंग से बचाकर हम इसकी विरासत का सम्मान कर सकते हैं और यक़ीनी बनाते हैं कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहे। ताजमहल सिर्फ़ एक स्मारक नहीं है. यह प्यार की स्थायी ताक़त और इंसानियत की साझा विरासत का सबूत है।

SP_Singh AURGURU Editor